"आव्रजन "
इन लोगों का काम है साहब
चोरी और सीनाजोरी
चाहे वह संपदा चुराए या विचार
इधर वे लोग
जो संपदा या विचार ऊगाते है
मुफलिसी में जीते
रहते बेफिक्र निर्विकार
दु:ख तो तब है जब शातिर लोग
उन्हें विचार विहिन कह
उड़ाते है उपहास
बनाकर रखते आयें हैं
जाहिल कृपण दास
शस्त्र,शास्त्र और आस्था से
अब निहत्थे -निरक्षर लोग
विचार विहिन भेड़ सदृश
समानता की पंगडडी
चलते-चलते ही की ईज़ाद
तब मिटाकर कर उसे बना रहे हैं
ये लोग समरसता की राजपथ
ताकि चल सके उपनिवेश की
भारी वाहन
सत्ता की मद में होते रहे
भव्यतम आव्रजन
- डां अनिल भतपहरी
रायपुर १६-१-२०१८
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