एक-दो कविताएँ
सीधी-सपाट कथन
सहज -सरल जीवन
की नही होती चर्चा
जिनकी हो न चर्चा
समझो हो गये मुर्दा
इसलिये ज़िन्दा होने
लोग हो रहे हैं बे़पर्दा
× × ×
ज़माना देखने-दिखानें का हैं
एक- दूसरे को रिझानें का हैं
सीधाई में नहीं रहा अब रिझाई
इसलिए तो कह रहे हैं भाई
रहो टे़ढ़े -मेढ़े ,करो आड़े-तिरछे
हर तरफ लगे हैं सी सी कैमरे
जो होगा सीधा वही पकड़ा जाएगा
क्योंकि सीधाई को चोहल समझा जाएगा
- डॉ. अनिल भतपहरी 9617777514
सत श्री ऊंजियार सदन अमलीडीह रायपुर छग
चित्र- डाब के संग मजे में मैसूर की खूबसूरत गली
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