Wednesday, January 13, 2021

एक -दो कविताएँ

एक-दो कविताएँ 

सीधी-सपाट कथन 
सहज -सरल जीवन 
की नही होती  चर्चा 
जिनकी हो न चर्चा 
समझो हो गये मुर्दा 
इसलिये  ज़िन्दा होने 
लोग हो रहे हैं बे़पर्दा 

×        ×            ×
ज़माना देखने-दिखानें का हैं
एक- दूसरे  को रिझानें का हैं
सीधाई में नहीं रहा अब रिझाई 
इसलिए तो  कह रहे हैं भाई 
रहो टे़ढ़े -मेढ़े ,करो आड़े-तिरछे
हर तरफ लगे हैं सी सी कैमरे 
जो होगा सीधा वही पकड़ा  जाएगा 
क्योंकि सीधाई को चोहल समझा जाएगा 

  - डॉ. अनिल भतपहरी 9617777514
सत श्री ऊंजियार सदन अमलीडीह रायपुर छग

चित्र- डाब के संग मजे में मैसूर की खूबसूरत गली

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