।।सतनाम पंथ के गुरु का प्रथम कैमरा फोटो ।।
जर्मन लेखक व फोटोग्राफर जे जे लोहर ने १८वी सदी पूर्वाध( १८६० के आसपास ) में सी पी एंड बरार में परिभ्रमण कर समकालीन समय में अपनी फोटोग्राफी व सांस्कृतिक तथ्य एकत्र करने में सतनामियो को इतना महत्त्वपूर्ण समझ कर सुदुर देश से आकर यह कार्य किया ।
उनकी प्रसिद्ध फोटोग्राफ युक्त पुस्तक " A few pictures cp and barar " १८९९ मे प्रकाशित हुई । उसी पुस्तक मे सतनाम धर्म के विशिष्ट "चरणामृतप्रथा" का चित्र संकलित हैं। इसमें सतनाम धर्म के गुरु जो सशस्त्र सेनानियो से धिरे श्वेत वस्त्रधारी दाढी मूंछ से युक्त राजसी तेज से युक्त है। क ई लोग इसे राजा गुरुबालक दास तो कोई इसे राजा गुरु आगरदास कह बता रहे है ।इस रीयल फोटोग्राफ जो कैमरे से उतारी ग ई है से भी सतनामियो के वैभव और उनकी विशिष्टता का पता चलता है।
अंग्रेज़ अधिकारियों लेखक व बुद्धिजीवियों ने अपने स्तर परचीजे महत्व समाज को दिए वह निसंदेह गर्व करने लायक हैं। उन सबके प्रति सदाशयता समाज की ओर से प्रकट भी क रते है। परन्तु बाद में जब आजादी के आन्दोलनों की पृष्ठभूमि बने सवर्ण नेतृत्व सामने आने लगे तब सतनामियो के प्रति एक गहरी खाई भी निर्मित होने लगी।
गुरुबालकदास की हत्या (१८६०) के बाद समाज नेतृत्व विहिन हो गये। ६०-६५ वर्ष बाद १९२०-२५ के आसपास गुरु अगमदास रतिराम मालगुजार नयनदास महिलांग अंजोरदास कोसले सहित ७२ संत महंत गण समाज के नेतृत्व शुन्यता को भेदकर मुख्यधारा में आने समकालीन नेतृत्व के साथ समन्वय स्थापित करने में और देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए ।
परन्तु यही नेतृत्व या समझौते आदि के कारण समाज पुनश्च उसी हिन्दूत्व की ओर गतिमान हो गये जिससे बचाकर एक अलग तरह के स्वरुप में गुरुघासीदास व गुरुबालकदास जैसे समर्थ धर्मगुरुओं ने संगठित किया था। आगे जब अस्पृश्य जातियों की अनुसूची में समाज को रख दिए तो यह स्वतंत्र पंथ से जाति बन ग ई यह और यही एक जातिविहिन वर्गविहिन उन्नत समाज का अधोपतन आरंभ हुआ।चंद सुविधाओ के लिए हमने अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक तत्वों से दूर भागते गये। राजनैतिक विचारधारा व प्रतिस्पर्धाओ के कारण समाज में बिखराव होने लगा जो निरंतर जारी हैं।
जो धार्मिक व आध्यात्मिक चीजे इन बिखराव को रोक सकती हैं। उसे हमलोग आजतक न ठीक समझ पाए हैं। न उनका सही इस्तेमाल कर पा रहे हैं। इधर कुछ तथाकथित वैज्ञानिक और स्थापित मान्यताओं के
विरुद्ध जन भावनाओं को उद्वेलित करने वाले शक्तियाँ भी एकीकरण होने नहीं देती।भले अन्यत्र कूट कूट कर मिथकीय अंध विश्वास भरा हो वह वहाँ जाकर गौरवान्वित होंगे, मानने लगेन्गेऔर यहाँ अवहेलनाएं व हिकारत करेन्गे।
।।सत श्री सतनाम ।।
डा. अनिल भतपहरी ,रायपुर
बहुत सुंदर लेख लिखा है सरजी। आपको कोटिश धन्यवाद जो आपने महत्वपूर्ण जानकारी साझा किए। सरजी यदि आपके पास a few pictures for cp barar का लिंक हो तो कृपया मुझे व्हाट्सएप कीजिएगा 🙏 6260191646 🏳️ सतनाम
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