मंगलकामनाएंं...
प्रात: नवल प्रभात
आशा की किरण
सी हुई प्रस्फुटित
महाव्याधि की हनक
अविश्वास की तमस
वैक्सीन और विश्वास
से मन मयुर मुदित
वाणी हुए निःसृत
बीस तो विष हुए
इक्कीस हो अमृत
सितम और संताप
हो जेहन से विस्मृत
मंगलकामनाएं धरा हो
सत्य प्रेम करुणा से संवृत
-डाॅ. अनिल भतपहरी
३१-१२-२०२१ शाम ६ .३० बजे
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