#anilbhatpahari
।।कलेचुप ।।
जुड़जुड़हा जाड़ मं
सुरुज उथे कलेचुप
झुंझकुरहा झांकय
झुंझकुर ले कलेचुप
ओढ़े कथरी खावय घी
तापय रोनिया कलेचुप
चुप सरिख सुख नहीं
बतावय बुदुक कलेचुप
जतन के राखबे मया ल
तोर अंतस म कलेचुप
अल्हन जाड़ मं हाथ-गोड़
सकेले पहावय बेरा कलेचुप
-डाॅ. अनिल भतपहरी
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