Monday, December 9, 2019

वीर नारायण सिंह

।।वीर नारायण सिंह द्वारा  जेल ब्रेक व पनाह
              एक संस्मरण ।।

गुरु घासीदास द्वारा अभिमंत्रित और उपचारित वीर नारायण सिंह जन कल्याणार्थ  बलिदान देकर अमरत्व प्राप्त किए आज उनकी  शहादत दिवस पर उन्हे सत सत नमन  !
            अधिनायक वाद और सामंतवाद के विरुद्ध समानता व  स्वाभिमान के लिए "जनक्रांति का  मशाल " प्रज्ज्वलित करने वाले वीर नारायण सिंह और राजा गुरु बालकदास व्यक्ति  स्वतंत्रता  के दो महानायक है। संयोगवश दोनो  सोनाखान- गिरौदपुरी निवासी  पड़ोसी व बालसखा भी रहे हैं। जिनकी  बलिदान से आज  भारत वर्ष एंव छत्तीसगढ़ समानता और  समृद्धि के पथ पर अग्रसर हैं। 
         यह संयोग और सौभाग्य की बात हैं कि वीर नारायण सिंह  की पहली गिरफ्तारी के बाद वे रायपुर सेट्रंल जेल की दीवार फांद कर  फरार हो गये ।दौड़ते - भागते ३० मील दूर अपने मित्र राजा बालकदास के गढ़ी भंडारपुरी आए। उनकी खातिरदारी कर उसे छुपाने व सुरक्षित सोनाखान पहुचाने अपने विश्वस्त सहयोगी व सतनाम सेना प्रमुख माखन साय भतपहरी के ग्राम जुनवानी  के घर पनाह लिए और  दूसरे दिन यहाँ के निवासी उन्हे ससम्मान महानदी पार कराकर बार अभ्यारण होते सोनाखान पहुँचाए ।
             ग्राम  जुनवानी  के वयोवृद्ध ग्रामीण जन उक्त रोमांचक धटना का संस्मरण सुनाते गौरवान्वित होते हैं कि हमारे पूर्वज लोक कल्याण के महान कार्यों में आरंभ से ही  गुरुघासीदास गुरुबालकदास वीर नारायण सिंह  जैसे विभूतियों के साथ दिए। एंव आजादी के आन्दोलन व डा अम्बेडकर के अभियान से जुड़कर सक्रिय सहभागिता निभाते आ रहे हैं। 

    हम जैसे नये पीढ़ी के लोग यह सुनकर रोमांचित व गौरवान्वित होते हैं कि हमारे छोटे से ग्राम  जुनवानी जो तेलासी -भंडार  से लगा महानदी तट पर सिरपुर के समीप स्थित है की बड़ी ऐतिहासिक उपलब्धि हैं। यहाँ साक्षात् गुरुघासीदास गुरु बालकदास वीर नारायण सिंह  के चरणरज पड़े मंत्री नकूल देव ढ़ीढ़ी व महंत नंदू नारायण भतपहरी एंव  एड मनोहरलाल भतपहरी सतनाम संकीर्तन कार सुकालदास भतपहरी  जैसे विभूतियों की जन्म व कर्म स्थली रहा हैं। 

              संस्मरण - सतलोकी अमोलदास भतपहरी  सतलोकी रामदयाल धृतलहरे ग्राम जुनवानी ।

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