तपोभूमि गिरौदपुरी सतधाम सहित सभी सतनाम धामों में यथा संभव पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन हो ताकि सतनाम धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार हो और जनमानस में रेंखाकित हो।
वैसे भी सतनाम संत संस्कृति में पूर्णिमा का अतिशय महत्व है, क्योकि पूर्णिमा ज्ञानोदय व मंगलकारी भी है।
सभी पूर्णिमा हमारे संत गुरु महत्माओं के जन्म दिन से जुड़ा हुआ है। और पूनम उत्सव सतमत का महत्वपूर्ण उत्सव रहा है।
देखिए कौन सी पूर्णिमा किससे संदर्भित है-
जेठ पूर्णिमा - कबीर जयंती
असाढ पूर्णिमा - गुरुबालकदास जयंती
सावन - पूर्णिमा रक्षा बंधन व्रत
भादो पूर्णिमा -
क्वार पूर्णिमा - शरद पुन्नी व्रत
कार्तिक पूर्णिमा - गुरु नानक जयंती
अघ्घन पूर्णिमा - गुरु घासीदास जयंती
पौष पूर्णिमा - गुरु अम्मरदास समाधि
मांघ पूर्णिमा -गुरु रैदास जयंती
फाल्गुन पूर्णिमा - मिनीमाता जयंती
चैत पूर्णिमा - उच्छल मंगल चौका आरंभ संत रतिदास जी द्वारा
बैशाख पूर्णिमा - बुद्ध पूर्णिमा बुद्ध जयंती ।
इस तरह देखा जाय तो सावन पुन्नी राखी त्योहार एंव
क्वार या शरद पूर्णिमा तस्मई बनाकर खाने खिलाने की रतजगा पर्व है ।
बाकी १० पूर्णिमा तो हमारे सञत गुरु महात्मसों के जन्म दिवस जयंती महा पर्व है।
इन तिथियों में समाज में सार्वजनिक महाआयोजन होना चाहिए।
।।सतनाम ।।
डा. अनिल कुमार भतपहरी
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