।।लोकगीत ।।
मया मं मितान बदिन पाना अउ ढेला
गर्रा संग पानी दमोरिस घुरगे ढेला
नोहर भइगे राम पाना उडि़यागे ....
दू दिन के बारी अउ दू दिन के कोला
कोन दिना झिकत रे ले जाही तोला
ए जंउहर भइगे राम नारी जुड़ागे...
दू दिन के जिनगी अउ दू दिन के मेला
झर जाही एक संगी जम्मोच झमेला
ए अलकर भइगे राम देखते जीव परागे ...
टीप -इस लोक गीत के मुखड़ा आद सी आर साहनी जी सुझाए
और उसे व्यवस्थित स्वरुप में ढ़ाले डा अनिल भतपहरी)
अब इसे कोई भी हो भजन पंथी करमा या लोकगीत स्टाईल में गा सकते हैं।
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