आध्यात्मिक साधना एंव योग सिद्धी मे" तुरि" अवस्था को अर्जित करने सुरम्य व एकांत वन प्रांतर अत्यंत उपयुक्त स्थल माने गये है।
इसलिए मध्य भारत में बौद्धमहानगरी सिरपुर के समीप तुरतुरिया नामक जगह में बौद्ध साधक तुरि साधना में लीन रहा करते थे।
यह सुखद संजोग है कि सतनाम धर्म संस्कृति में भी साधना और समाधि की संस्कृति प्रचलन में अब भी है।
एक सतनाम साखी जो पंथी मंगलभजन के पूर्व गाए जाते है और वे छत्तीसगढ़ी में है उनमें ध्यान की इस तुरि अवस्था का जिक्र है -
लछ्य कोस म गुरु बसे, सुरता दिहव पठाय।
ग्यान तुरि असवार है, छिन आवय पल जाय ।।
विद्जन भावार्थ ग्रहण करे एंव सतनाम पंथ और बौद्ध की सहज यान की साधना पद्धति की साम्यता को समझे और आत्मसात करे।
गिरौदपुरी तुरतुरिया व सिरपुर एक ही परिछेत्र में महज २५-३० कि मी दायरे मे अवस्थित है ।
।।सतनाम ।।
चित्र - तुरतुरिया में स्थित बुद्ध व भिछुणियों की प्रतिमाएं जो यत्र तत्र बिखरे है में से कुछ झोपड़ियों में शोभायमान है।
Wednesday, October 24, 2018
योग साधना में तुरि अवस्था
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment