यह कैसी विडंबनाएं है कि पौराणिक व मिथकीय ३३ करोड़ देवी देवता मान सकते है।पर उंगुली मे गिने जाने चंद संत गुरु महात्माओं जो ऐतिहासिक महापुरुष है और वे तमाम अन्ध विश्वास ढोंग पांखड से बचाकर नये धम्म पंथ मत का प्रवर्तन कर मानवता को प्रतिष्ठापित किया है उनकी चर्चा और उनके साथ साथ सम्मान तक नही कर सकते ? यदि करते है तो खेमेबाज कहलाने लगते है। आखिर कब इन छुद्र संकीर्णताओं से बाहर निकलेन्गे?
बाहरहाल तमाम खेमेबाजी और खीचतान के चलते ही यथार्थ पर मिथक यानि सत्य पर असत्य और संत गुरुओ प्रवर्तकों ग्यान के जगह कर्मकांडी पंडे पुजारी की ढोंग पाखंड चल रहे है।आख कान बंद कर उन्हे विश्वास करने मानने विवश व बेबश है।क्योकि चंद सुविधाभोगी ऐसी परिस्थिति कायम रखना चाहते है।और वे हमारी भूल गलतियों के कारण ही अबतक सफल है।
यदि इन ५-७ युग प्रवर्तक संत गुरु महात्मा को साथ नही मान सकते उनके विचार धारा जो सतनाम ही है भले उच्चारण भेद सच्चनाम सत्यनाम सत्तनाम सचनाम सतनाम शतनाम व सतिनाम जैसे भिन्नता लिए हुए है। परन्तु यह सातो मिलकर सूर्य किरण जैसे एक है। इसे नही माने -जाने समझे और स्वीकारे तो युगो तक नारकीय यंत्रणा भुगतने मानसिक रुप से तैय्यार रहे।
सद्गुरु सबको सद्बुद्धि दे।
।।सत श्री सतनाम ।।
Saturday, October 20, 2018
संतो एंव गुरुओं
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