#anilbhattcg
छकड़ी : बसुंदरा मन के नऊ सियानी
इसगा-चारी म बुड़े अपनेच म लड़त कटत मरत हे
मार चिखला म सनाय गोल्लर सरिख भुकरत हे
मंद - मंउहा म चुर कुकरी बोकरा खा के उछरत हे
तेही पाय के दु कुरिया के मन नऊ सियानी करत हे
घर भीतरी ढे़ढ़ा कस तरी-तरी बरी मुनगा चुचरत हे
तुहरे सेती ये बसुंदरा मन हर पागा पारे किंदरत हे
- डा. अनिल भतपहरी /9617777514
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