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सफदर हाशमी के नुक्कड़ नाटक और उनकी प्रभावशाली प्रस्तुतियां मजलुम और जरुरतमंद व्यक्ति की पीड़ा की अभिव्यक्ति रही हैं।
व्यक्ति स्वतंत्रता और स्वाभिमान की दास्तान राजा गुरुबालकदास और उनके अभिन्न मित्र शहीद वीर नारायण सिंह की दास्तान से जुड़ जाती हैं।जिसे साम्राज्यवादियों ने निर्मम हत्या कर कुचलने का असफल प्रयास किये।
श्रद्धांजलि -
कट जाए आन में सर
तो गम नही
कहते हैं वो नर
नर नही
जो गाहे बगाहे
सर झुकाता है
लाल सलाम हाशमी तुम्हे
एक बागी कवि कहता हैं
घटनोपरांत हाशमी के ऊपर पोष्टर कविताएं भी लिखा तब कालेज में पढ़ थे ... कुछ पंक्तियां स्मृत होने लगा - आज उनकी जन्मदिन पर उन्हे सादर श्रद्धांजलि
डा. अनिल भतपहरी
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