।।तुरते ताही करय कारवाही ।।
गरब करन कि सरम काही सुझत नइये
मनीपुर के धधकत आगी बुझत नइये
नान चुक राज के जबर हवय बिपत
दू समुदाय के मांझ खुरखूंद झगरा बिकट
एकेच भुइंया एकेच नदियां एकेच जंगल पहार
एकेच गांव म बसेरा सब के एकेच खेत- खार
बसय तीर -तखार सबो के एकेच डीह -डोंगर
मीत -मितानी सगा पहुनाई रहय सांगर- मोंगर
कुकी अउ मैतई मन ल काय होगे हवय
लगथे उन मन ल कोनो बेमझाय हवय
धरम- करम ल राजनीति म साट के
दुनो झन ल परलोखिया मन बाट के
राज करत अपन तिजौरी ल भरत हे
उचका के एमन ल चाउर कस छरत हे
माईलोगन के मान मेटा के काय कर लीही
हाय लगही एकर कतेक ल ओमन तपही
करतुत छलियन के करम अब जग भर बगरही
अपनेच ढीले दांवा म भंग-भंग ले ओहूमन जरही
ज इसन करही तइसन फल तो पाबेच करही
बोही बंबरी के बीजा त निपोर ले आमा फरही
फेर संसो कि ये संकट के अब तक उबार नइहे
लगथे उहा अब कोनो जवाबदार सरकार नइहे
राज शासन सके नही त केन्द्र करवाही करय
धधकत मनीपुर ल अब तुरते ताही बचावय
नइते जंगल कस आगी बबलतेच जाही
तीर-तखार के पाना -पतई मन त लेसातेच जाही
देखे बर हरियाली सबन आखी हर तरसही
चारो मुड़ा लेसाय जराय धुंगियाय रंग रही जाही .
जोन समृद्ध खुशहाल राष्ट्र के सपना देखे हन
राज पा के राज करे के सपना सजाये हन
अपन कला संस्कृति धर्म -कर्म के गुन गाये हन
सब बिला जाही जतनो एला ,मुस्कुल से राष्ट्र पाये हन
- डा. अनिल भतपहरी / 9617777514
No comments:
Post a Comment