||खार अउ कछार के उजार ||
हमर गांव जुनवानी ह सिरपुर अउ भंडारपुरी के मंझोत महानंदी अउ पतालु नरवा म खड़ बसे हे । जेकर चारों खुट मधुवन अउ रम्य जंगल रहिस ।बनसुंघुल अउ कोरिया रवार के कारन कहर- महर महकय। असनेच कत्कोन गांव के रम्य जंगल अउ नंदी -नरवा ,के कछार म उपजे /जनमे बनसपति अउ पशु- पंछी मन खार अउ कछार के उजार होय ले नंदाते गय।
अब कहां के पाबोन तेंदू ,चार ,डुमर ,बन सुखड़ी , अमुर्री, मोकैया ,बंझोरी बोईर,दहिंगला त कसही बेल , धनबहर , कोसम, घठोल , चिरई जाम , आमा अमली गंगा , डुमर , गस्ती , कया कोइचला ,हर्रा बहेरा अंवरा मौहा तेंदू चार जइसन फलदार और औषधीय पेड़ ।
कर्रा सेनहा , सलिहा , सेम्हरा , चिकनी ,फरहद जैसन इमारती उपयोगी जलऊ पेड़ रहय त कोलिहा केकरी, चिरपोटी , मुंगेसा तुरते उरर तोड़ के खाय के जिनिस रहय। ,फुटू खेकसी ,लेवना भाजी ,बोहार , उरला , कोइलार जैसन भाजी ले भरे रहय। कोरिया, लता , गोटी फूल बेला , छैबुंदिया , धनबहेर, परसा, मौहा ,गोंदला, झगराहा अउ आनी -बानी के फूल ले बारहो महिना कहर- महर महकत आबोहवा वाले गांव सिरतो सरग सरीख लागय। भले सांप -बिछी के डर रहय फेर जानती म कुछेक नुकसान के ये मन अउ मनखे सुंतितर हरहिंछा संघरा रहय।
अब सब वन विभाग के करस्तानी कि इन नरवा, नंदिया कछार , दादर अउ पड़ती खार में प्राकृतिक रुप ले ऊपजे रम्य जंगल ल उजार के उहा सागौन अउ बांस रोपत जात हवय । दादर जंगल उजरे ले जैव विविधता से युक्त पशु -पंछी ,औषधीय गुण केवदसमुड़ कांदा , जंगली गोंदली, बगडोल ,गोमची ,छेरी चुची, कत्कोन रुख के बांदा , फर - फूल ,लता -कुंज झांड़ी पेड़ आदि के उजार हो गय! पहली कत्कोन बैदराज मन आयव अउ चरिहा बोरा म जड़ी बुड़ी खन के लेगय ।
सरकारी रोपनी के खाल्हे न बंगलसुंघुल मिरगा घास न कांदी , शंखपुष्पी ,कौआकेनी के घांस जेला चर के अमरित कस गोरस गाय / भंइस मन देवय। ऊपर ले ये रोपनी मन म तार घेरा के लगे ले चरागन खतम अउ गाय - भंइस , छेरी -भेड़ी अमरित सरीख दूध घी ह तको खतम।
अब तो गुरेचन वाली गाय कहु देखे सुने म नइ आय । बचपन में हमारे घर गुरेचन वाली सादा अउ कसाय रंग के गाय रहिस जेला दादी ह "सुरहीन गाय कहय । बाखा भर पानी म उतर के पानी पियय ते पाय ओहर चिन्हऊ रहिस ओकर दूध हर बड़ मीठ एक अलग सुंगध रहय।ओकर घी बड़ ममहाय । ओकरे दूध पी के बछरु मन संग ब्यारा- बारी में गाज खेलत बाढ़े हवन । हमर गांव ले लगे चातर राज वाले मन के मारे हमर खेत -खार के साजा पेड़ बाचे नही। पहली गांव म रखवार लगय ,अब तो सब नंदा गय। जलाऊ लकड़ी सेती जम्मा रुख राई मन कटा गय । पहली सीजन म चरौटा ,उलहवा, कोसम , बोहार भाजी ,टोरे घरो -घर सगा उतरय। कत्कोन झीक- पुदक के तको ले जय।
फेर इकर ले जादा वन विभाग के मनमानी अउ केवल सागौन बांस उपजाय के सेती अमुल्य जड़ी बुटी अउ प्राकृतिक रुप ले उपजे रुख राई अउ इहचें जनमे पशु पंछी जेमा भठेलिया बनबिलवा , घुस मुसवा , चीटरा , गोइहा सांप नेवला , कोलिहा, खेखर्री रहय । कभु -कभु महानदी ओ पार सिरपुर बार जंगल ले गाहबर , हुर्रा , बरहा , हिरना -मिरगा अउ कभु -कभु बुंदिया बाघ आ जय । गांव म बेंदरा न इ आत रहिस ।ओमन ल इही जंगल म फर फरहरी खाय मिलय । चिर ई चुरगुन म तीतुर , बटेर , पड़की , सोलहई , हारिल , खेलवार , फूल चुहकी , मैना , कोयल ,कौवा , टेहर्रा , नाकर , कोआ जल कौवा , त नरवा नंदिया पड़हीना , भुंडा ,बांबर टेगना डेमचुल , सरागी ,खेगदा , मोंगरी , ढेसरा ,कोतरी चिंगरी मन गजगजात रहय जेला खाना थोरिक नंदिया नरवा के सरार म बुड़ अउ टमड़ के साग हो जय।
ए सब के उजरे ल बेंदरा , बरहा अउ हाथी मन के आंतक ले वन गांव मन के उजार होय घर लिस। मनखे मन शहर म रोजी- मजुरी करे बर पलायन करे धरलिस ।
कहे के मतलब एक सइगोना जउन बिरिछ म सोना समझे जाथे ।ओकर उपजाय के जोखा ले ,लोगन के जनजीवन ले जुडे हीरा -मोती, रतन -पदारथ सरीख अमूल्य प्राकृतिक अउ जैव संपदा के बिनास हो गय। धनी -मानी मन के सेज -सुपेती ,खोरसी -टेबल अउ दरवाजा - खिड़की बनाय के सइगोना बैरी हर अजगर सरीख सब ल लील डरिस । आज तक ये सइगोना हर आम आदमी के पहुंच ले दुरिहा हवे ।
सच कहे त गरीब ल भुंइया बाटे के योजना सिलिंग हर दादर अउ चरागन खार ल खेत बनाय बर जरमुर सहित इहा रम्य जंगल उजरिस । तेकर पाछु सगौन रोपनी योजना हर पुरा बरबाद कर दिस । अब तो दतवन करे के कोनो रुखेच न इहे । गांव भीतर के बारी बियारा म मनसे के खुदे लगाय आमा ,अमली लीम , तरिया अउ खरिखा डाड़ के बर ,पीपर बस बाचे हे बाकी सब खतम ।
केवल चालिस बछर में ये दुरदसा देख मन बड़ दु:खित होथे। कोनो तो समझाव कि निस्तारी बर अउ स्वास्थ्य बर शुद्ध हवा अउ जरी-बुटी मिंझरे चरागन गांव म होना कतेक जरुरी हवय ,जेन ल चर के गाय / भंइस हर अमरित सरीख दूध देथे। ए डहन हमर शासन -प्रशासन के धियान काबर नइहे?
-डा. अनिल भतपहरी / 9617777514
सचिव छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग
सेंट जोसेफ टाउन अमलीडीह रायपुर छग