भीषण छप्पन के अकाल और उसके बाद अनेक छत्तीसगढी परिवार ब्रिटिश काल में एग्रीमेन्ट लेवर यानि कि गिरमिटिया मजदूर के नाम से असम प्रान्त के बीहड जंगल और पर्वतीय छेत्र में स्थित चाय बगान विकसित करने गये और वही न आ सकने की मजबुरी में आबाद हो गये। इन परिवारों की जनसंख्या लगभग १६ लाख हैं। श्री रामेश्वर तेली सांसद हैं। एंव अनेक लोग सम्मानित जनप्रतिनिधी बगान मालिक संपन्न कृषक शासकीय सेवक और व्यवसायी बन गये हैं।
बगान श्रमिक जिसे बगनियां कहे जाते थे वे छत्तीसगढी मूल के लोग अपनी परिश्रम व लगन से अब बगान से उतर कर मैदानी और बसाहट वाले छेत्रों में आबाद छत्तीसगढी मूल के रुप में सम्मानित असमिया हो गये हैं। सभी वहां ओबीसी वर्ग में सम्मलित हैं। और परस्पर मेलजोल यदाकदा बिना द्वंद के वर वधु के पसंद से अन्तरजातिय विवाह भी प्रचलन में हैं। वहा छत्तीसगढ जैसे जात पात अपेछाकृत कमतर हैं ।तथा भाषा संस्कृति और संरछण के नाम पर संगठित हैं। यह प्रवासी समुदाय की उदात्य सांझा संस्कृति छत्तीसगढ के गांवो में व्याप्त जात पात छुआछूत की नारकीय दशा को प्रभावित कर एक मनव समाज एक भाषाई व संस्कृति वाली शानदार प्रदेश बना सकते हैं। जो संपूर्ण देश को न ई रौशनी दे सकते हैं। और वर्तमान परिदृश्य में यह नितांत आवश्यक भी हैं।
असम से आये पाच सतनामी पहुना कल गुरुघासीदास सांस्कृतिक भवन में अत्यंत भावविभोर होकर अपने पूर्वजों की पीडा संधर्ष और वहां आबाद होने की दास्तान असमिस उच्चारण मिश्रित प्राचीनतम छत्तीसगढी भाषा जैसे झुंझकुर ,भाटों ,मया महतारी ,संत गुरु बबा , संसो , रद्दा ,असीस जैसे छत्तीसगढ में विलुप्त प्रायः शब्दों का अनुप्रयोग वहां से आए युवा पहुना कहे तो मुझ भासा और संस्कृति प्रेमी को बेहद अल्हादित किया।मंत्रमुग्ध उन सभी के प्रेरक बातों को श्रवण करते रहा।
प्रगतिशील छग सतनामी समाज द्वारा शहीद स्मारक भवन में ११०० पंथी नर्तको साहित्यकारों के सम्मान के अवसर २०१७ पर मुख्यमंत्री द्वारा उद्धोषित कि छत्तीसगढी संस्कृति की संरछण हेतु पहल की जाएगी उनके आधार पर संस्कृति विभाग के अशोक तिवारी जी की कठिन परिश्रम से सांस्कृतिक आदान प्रदान का सिलसिला आरम्भ हुआ। यह सुखद संयोग हैं कि असम मे निवासरत १६ लाख छत्तीसगढी भाषियों में ३ लाख से अधिक सतनामी परिवार है। और सभी वहां समरस हैं। हम सौभाग्यशाली हैं कि मुख्यमंत्री जी के धोषणा और उनके कुछ माह बाद असम से सर्व समाज के प्रतिनिधि मंडल ३० सदस्यों का प्रथम आगमन१७ में और ५ अप्रेल १८ को वहां से ५ सतनामियो के आगमन उनकी आपबीति को श्रवण व वार्तालाप करने का अवसर मिला।
गुरुअगमदास मिनीमाता के उपरान्त वर्तमान गुरुवंशज गुरु सतखोजनदास साहेब (उनकी धर्मपत्नी गुरुमाता असम से आई हुई हैं।) के गरिमामय उपस्थिति व प्रबोधन आशीष वचनों से यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
आगे यह सांस्कृतिक मेलजोल और आवागमन सिलसिला चल पडेगा और सुदुर २ हाजार कि मी दुर में आत्मीय जनो से छत्तीसगढी जनता का सीधा संपर्क होगा।
प्रथम सांसद गुरुमाता मिनीमाता ही दोनो प्रांतो को जोडने वाली कडी है। अत एव उनके नाम पर रायपुर से डिब्रू गढ तक ३ करोड जनता को जोडने रेल मंत्रालय भारत सरकार मिनीमाता एक्सप्रेस चलाया जाय।व उनकी जन्म स्थान को तीर्थ स्थल के रुप में विकसित किया।
कार्यक्रम में प्रवासी पहुना मदन जांगडे ,हिरामन सतनामी बिमल सतनामी मिलन सतनामी ,.ज्युगेश्वर सतनामी.सहित के पी खांडे डा जे आर सोनी एल एल कोशले पी आर गहिने सुन्दरलाल लहरे सुन्दर जोगी ऊषा गेन्दले उमा भतपहरी शकुन्तला डेहरे मीना बंजारे डा करुणा कुर्रे ,एम आर. बधमार ओगरे साहब चेतन चंदेल डा अनिल भतपहरी सहित अनेक गणमान्य लोगों की गरिमामय उपस्थिति रही।
जय छत्तीसगढ जय सतनाम
Monday, June 10, 2019
असमिया सतनामी सम्मान समारोह
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