सुदूर जशपुर से "मेरे होने का एहसास" काव्य संकलन डां. सतीश देशपांडे निर्विकल्प जी के संपादन में श्री बालाजी जन कल्याण समिति सहयोग द्वारा प्रकाशित कृति पठनीय ही नही संग्रहणीय है। मनुजता की अस्मिता तलाशती मानवीय संवेदनाओं और प्रकृति की नैसर्गिक सौन्दर्य का सुन्दर चित्रण इसमें सन्निहित है।
शिछा व साहित्य जगत के यशस्वी हस्ताछर डां सतीश देशपांडे निर्विकल्प जी हाथों से संवरे यह जशपुर वाटिका का अनुपम व सुंगधित बिरवा है, (जिनमें देशपांडे जी अनिल सिंह "अनल" , एम .जेड. यु. सिद्दकी, सैय्यद सफ़दर हुसैन" सुमन" , विश्वबंधु शर्मा ' अनिकेत' जी की रचनाएं संकलित है।) जिसे कोई भी सुधि पाठक अपने आंगन में रोपना चाहेन्गे!
शुक्र है कि यह हमें सहजतापूर्वक कलावंत "करमा के साधक" श्री सी आर साहनी जी के जन्मदिन के सुअवसर पर उनके समछ आदरणीय देशपांडे सर के कर कमलों से प्राप्त हुआ ... और इस तरह स्वनाम धन्य द्वय मनीषियों के सानिध्य लाभ मिला ।
प्रफूल्लित मन से इन साधकों के विमल कीर्तिवान होने की मंगलकामनाएं करते हम हर्षित हैं।
Sunday, June 2, 2019
मेरे होने का एहसास
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