" ऐतिहासिक ग्राम जुनवानी के भतपहरी वंश और उनके सामाजिक दायित्व "
आजादी के पूर्व यहां तक गुरुघासीदास बाबा जी के संग मिलकर समाज सेवा में भतपहरी परिवार अग्रणी रहा है। एक पिता के चार बेटे ललवा ,नोहरा, भारत और बंशी नामक चार भाईयों के परिवार से गुलजार जुनवानी के यह चार भाई ही कुलदेवता की तरह यहां पूज्यनीय है। इनके नाम से हुमन -धूपन देकर विध्नबाधाओं से मुक्ति की प्रार्थाना की जाती है।
सतनामी राज्य की नव नियुक्त राजा गुरुबालकदास के सिपहसलार व सच्चा सिपाही यहां के समकालीन युवक रहे। फलस्वरुप उनके और उनके मित्र राजा वीर नरायणसिंह का आगमन हुआ है।
स्वतंत्रता आन्दोलन में भी यहा के लोग सम्मलित रहे । प्यारी बबा को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पेंशन मिलते रहा थे।
मंत्री नकूल ढ़ीढ़ी जी उनके बहनोई महंत नंदूनारायण भतपहरी (हमारे छोटे दादाजी ) के अभियान में पूरा गांव साथ रहा .. फलस्वरुप यहां की प्रभाव आसपास पड़ा ।
ब्रीटिश जमाने से साछर आज इस ऐतिहासिक ग्राम की अपनी विशिष्टता है। यहां की प्रतिभावान लोगों में छत्तीसगढ़ के अंबेडकर के नाम से ख्याति लब्ध परिछेत्र का प्रथम हाई कोर्ट एड मनोहरलाल भतपहरी आर पी आई के रायपुर लोकसभा के उम्मीदार के रुप बड़ा लीडर रहा है। साहित्यिक व सांस्कृतिक प्रतिभा सम्पन्न बहुमुखी प्रतिभाशाली प्रप्राचार्य सुकालदास भतपहरी थे। व बिहारी जांगडे विकास अधिकारी जोहन किसन पृथक छत्तीसगढ़ आन्दोलन के जेलयात्री नकूल ढीढी के साथ चंद्रबलि भतपहरी व उनके मित्र थे। फत्ते, मनराखन ,चैतू मनी राधे जमुना प्रेमदास जनप्रतिनिधी शासन - प्रशासन में प्रभावशाली पदों पर रहे । मं प्र अनु जाति आयोग पूर्व अध्यछ एड भुवललाल भतपहरी स्वस्थ व सक्रिय है।
महज एक परिवार और उनके कुछ बेटी दमाद परिवार से आबाद छोटे से गांव में अन्यत्र शोषण दमन से मुक्त समानता और एकता का बेमिशाल आदर्श ग्राम है जिनकी ख्याति दूर दूर तक है।जहां सेवानिवृत और वर्तमान में ४० -४५ से ऊपर अधिकारी कर्मचारी डा प्रोफेसर शिक्छक वकील जज इंजी तथा अपनी निष्ठायुक्त जीवट कार्यछमताएं/ नेतृत्व से शासन-प्रशासन में छाप छोड़ रहे है। यहां प्रदेश के सभी बडे राजनेताओं का आगमन जयंती समारोह में होते रहा है।
पत्थर खदान और कृषि वहां कठोर परिश्रम का प्रतिफल संधर्ष पूर्ण पुरुषार्थ भरा जीवन सफलता अर्जित करने के प्रेरक तत्व रहा है। इसी बहाने थोड़ी सी पारिवारिक पृष्ठभूमि बताकर हमें हर बार की तरह गर्वानुभूति होते है कि इस वंश के हम वारिश है।
बहरहाल पूर्वजों गुरुबाबा एंव समाज का आशीष मिलते रहे ताकि समाज सापेक्छ बेहतरीन कार्य कर अपने जीवन को ये नव समाज सेविकाएं सफल कर सके...परिवार के उत्तराधिकारी होने के नाते हमारा भी समर्थन व अपेछित सहयोग है।
-डा. अनिल भतपहरी
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