Saturday, March 9, 2019

तपोभूमि गिरौदपुरी सतधाम

"तपोभूमि गिरौदपुरी सतधाम "
सतनाम धर्म के प्रवर्तक और महान मानवतावादी  संत गुरु घासीदास बाबा का जन्मभूमि एंव तपस्थली है।गिरौदपुरी सतधाम का राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति है।१९३५ के गिरौदपुरी मेले के  पाम्पलेट में उनके राष्ट्रीय स्तर पर प्रसार की उल्लेख मिलते है। जहाँ देश भर से लाखों श्रद्धालुओ के आगमन और उनके आने जाने ठहरने की सूचना है।
    नैसर्गिक  सुषमा से अच्छादित यह पावन स्थल अत्यन्त रमणीय व मनमोहक है।वन्य जीव से आबाद बार अभ्यारण्य और कलकल बहती जोगनदी व ट्रान्स  महानदी के कछार पर स्थित गिरौदपुरी का सौन्दर्य हर किसी के मन को भाते है।
   बन तुलसा( बडी तुलसी )के झाड़ियों से  महकते पहाड़ी परिछेत्र में सुप्रसिद्ध औरा-धौरा वृछ के तले ध्यानरत गुरुघासीदास तेन्दू वृछ के समीप धर्मोपदेश व मनन चिन्तन और योग तपस्या मे निरत रहते थे ।समीप पहाड़ी के नीचे चरण कुण्ड और वहाँ से ५०० मीटर दूर    अमृतकुण्ड का जल गंगाजल सदृश्य पवित्र है। यह दोनो प्राकृतिक कुण्ड सदानीरा है जहाँ स्वच्छ जलराशि बारहोमास पहाड़ी की तलहटी मे विद्यमान आस्था कौतुहल और अनुसंधान का विषय है।इस कुण्ड के जल का धार्मिक पूजापाठ मे गंगाजल जैसा ही अनुप्रयोग जनमानस करते रहे है।यहा तक कृषि कार्य और खेतों मे इनके छिडकाव हेतु दूर-दूर से लोग गैलनो, कनस्तरो और अन्य पात्रों मे भरकर ले जाते है।
  इस जगह में आते ही सुकून शांति और मन हृदय मे पवित्रता का आभास श्रद्धालुओं को होते है।इसलिए स्वस्फूर्त बारहो मास वे उक्त आकर्षण मे आबद्ध हो सतधाम आते है।जहां पर अपनत्व और एक तरह से स्वच्छंदता का स्वानुभुति होते है।यहा पर पण्डे पुजारी कोई दान दछिणा रोक टोक नही है बल्कि लोग स्वत: अनुशासित होकर राग द्वेष से मुक्त परम आनंद मे निमग्न नजर आते है।मंगल भजन सत्संग चंदन तुलसी की महक शुद्ध प्राकृतिक हवाएँ प्रदूषण मुक्त नैसर्गिक जगह सचमूच सतलोक सदृश वातावरण इस पवित्र धाम का है। जहाँ प्रमुख दर्शनीय स्थल निम्नवत् है-
१ गिरौदपुरी ग्राम
२ झलहा मंडल का दोतल्ला  घर
३ उसी घर से लगा गुरु बाबा का  जन्म स्थल
४ गोपाल मरार के घर बाडी और कुंआ
५ गुरु द्वारा हल चलाए बाहरा खेत
६ बाहरा तालाब 
७ नागर महिमा स्थल
८ बुधारु सर्पदंश उपचार स्थल
९ बछिया जीवन दान स्थल
१० सफुरामाता जीवन दान स्थल
११ शेर पंजा मंदिर
१२ औरा धौरा तेंदूपेड़/ मुख्य प्राचीन मंदिर
१३ चरण कुंड
१४ अमृतकुंड
१५ छाता पहाड
१७ पंचकुंडी
१८ सुन्दरवन
१९ जोक नदी
२० हाथी पथरा
२१ विशाल जैतखाम
इन सभी के सहित१५ कि मी परिछेत्र और फा शु पंचमी से सप्तमी तक १०-१५ लाख जनमानस के स्वनियंत्रित चहल- पहल ,भजन ,सत्संग- प्रवचन, चौका- पंथी, संत -महंत गुरु वंशज प्रतिभाशाली लेखक कवि कलाकार और सेवादार  दर्शनीय है।निशुल्क चिकित्सीय शिविर जिसमे पारंपरिक वैद्यकीय व आधुनिक चिकित्सा सम्मलित है का शिविर स्वस्फूर्त हमारे सामाजिक चिकित्सक बंधु सेवार्थ व धर्मार्थ  लगाते है। मुख्य मंच से अनवरत पंथी मंगल सत‌नाम संकीर्तन  सत्संग प्रवचन चलते रहते है।
     इस बार सतनाम सहज योग साधना शिविर और प्रगतिशील छग सतनामी समाज के सतनाम साहित्य प्रकोष्ठ के सौजन्य से  अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन मेला
को और भी महिमामय व महत्वपूर्ण करेन्गे।
    श्रद्धा-भक्ति और आस्था के अनगिनत स्थलो मे तपोभूमि गिरौदपुरी सतधाम अप्रतिम व अद्वितीय है।इनका दर्शन मात्र से आत्मकल्याण व आत्मिक सुखानूभुति होते है।
    ।।जय सतनाम।।
- डां अनिल भतपहरी
         सचिव
     सतनाम साहित्य प्रकोष्ठ
प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज

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