Sunday, March 10, 2019

भोजन भंडारा ही नही ग्यान भंडारा भी आयोजित हो

।।भोजन भंडारा ही नही ग्यान भंडारा भी हो।।

तपोभूमि गिरौदपुरी धाम मेला परिसर सहित आसपास के कस्बो  चौक -चौराहों में अनेक सामाजिक संस्था व्यक्ति खरोरा पलारी संडी वटगन बलौदाबाजार लवन कसडोल सहित अनेक जगहों पर विगत अनेक वर्षों से संचालित है।यह स्वस्फूर्त है जो सतनामियों की मूल प्रवृत्ति कि भूखे को भोजन प्यासे को पानी देने को अभिव्यक्त करते है। विगत कुछ वर्षों से छ.ग. शासन द्वारा मेले में नि:शुल्क दाल -भात सेंटर संचालित हो रहे है। बावजूद लाखों परिवार आदतन स्वपाकी होने के कारण जोंक नदी और वनप्रांतर मे पारिवारिक सहभोज एंव सात्विक आहार- विहार करते तीन दिनों तक साधनात्मक जीवन व्यतित करते आ रहें हैं।
     परन्तु यह विडंबना है कि विशाल काय समुदाय के मानसिक छुधा के शमन और उन्हें सही मार्गदर्शन हेतु कोई व्यवस्थित आयोजन शिविर आदि की कोई प्रभावी आयोजन व उनके लिए कोई व्यवस्था नही हो पाते।और न ही छत्तीसगढ के संस्कृति विभाग द्वारा सतनाम सञस्कृति के संवर्धन और प्रदर्शन आदि करने के लिए कोई सार्थक पहल नही करते न ऐसा सोच या विचार कही हो पाते।
  दाल -भात सेंटर और अनगिनत नि: शुल्क भोग भंडारा आदि देख ऐसा लगता है कि समाज का धन केवल जबरजस्ती लोगो के भूख मिटाने में अपव्यय हो रहे है।जबकि स्वाभिमानी समाज व श्रद्धालू दर्शनार्थी ऐसा कोई अपेछा भी नही रखते कि कोई हमे नि: शुल्क भोजन करावे! 
      ऐसे सेवादारों समितियों और संस्थाओं से अपील है कि आगामी वर्ष या इसी वर्ष से ही मेला परिसर मे होने वाले विभिन्न आयोजन में विविधता लाए ।कही सत्संग प्रवचन हो कही पर सतनाम सहज योग साधना शिविर लगे।समाधिस्थ संतों के इर्द गिर्द आध्यात्मिक आयोजन करे। अनेक साहित्यिक संस्थाए काव्यपाठ कथावाचन व संगीतमय प्रवचन  करे । प्रगतिशील छत्तीसगढ सतनामी समाज विगत कुछ वर्षों ऐसा आयोजन करने की स्थिति में  काफी संधर्ष के बाद आज सछम हो पाई है।और हमारे सैकड़ो लेखक कवि कलाकारों को  उनकी अपनी प्रतिभा प्रदर्शन हेतु मंच उपलब्ध करा सके है। इसी तरह कुछ वर्षो से  चिकित्सीय शिविर  हमारे चिकित्सक वैद्य गण करने लगे है ।
सामान्य ग्यान प्रतियोगी परीछा से संदर्भित  पुस्तक विक्रय केन्द्र और आडियो विडियो कैसेट सीडी पेन ड्राइव चिप्स आदि का स्टाल लगाए ।और उन्हे विशेष छूट प्रदान कर खरीदने प्रेरित करे। या कुछ सतनाम  साहित्य आरती पंथी संग्रह या अमृतवाणी उपदेश युक्त  कलेण्डर आदि नि: शुल्क उपलब्ध करावे ताकि सतनाम धर्म संस्कृति का उत्तरोतर संवर्धन और  विकास हो।इस तरह के रचनात्मक कार्य करने वाली समिति को मुक्त हस्त से अनुदान व सहयोग दे ।न कि दाल भात सब्जियां खिला कर या समिति के सदस्य और घर -परिवार   खा पीकर एकत्र किए संसाधन को नष्ट  करें।
          सब तरह के आयोजन युक्तियुक्त हो और उनका संचालन व्यवस्थित हो ताकि सब तरह से सबकों लाभ मिल सकें।

"भोजन भट्ट के जगह ग्यान भट्ट होना बेहद जरुरी हैं।"
     

                ।। सतनाम ।।

             डा अनिल भतपहरी

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