Wednesday, March 27, 2019

हड्डी की जीभ नहीं कि न फिसलें

कहें बिंदास अनिल भतपहरी
         आपके वास्ते छकड़ी हमरी..
मित्रों जितनी मुंह हैं उतनी  हैं‌ बातें।
हड्डी की जीभ नहीं कि न फिसलें।।
फिर भी सबकी है अपनी दृढ़ दावें।
कुछ पल  बाद वे भले हो खोखलें ।।
बंद मुठ्ठी तक तो भैय्ये गाले‌‌ हंस ले।
खुलेगी तब जो होगें वे सभी देख ले।।
  - डा. अनिल भतपहरी

No comments:

Post a Comment