"अब का होही"
गाँव के छोटे -बड़े सब्बों किसान -बनिहार मन के घर- दुवार, बारी -बखरी,बियारा- सियारा ( खेत- खलिहान) के चउक- चाकर रक्बा ल देख परप्रान्तिक मन जर भुन जथे! भले घर खदर -खपरा के छानही आय फेर लगथे कि यहू झन रहय। उनमन ल परपरी घर ले हे ।रकम- रकम के उदिम करत हे इनकर भुंइय्या नगाय के। इकर अनाप -सनाप संउक चढ़ा के भले ओमन बिसा लेवय । जुआ -मंद ,नाचा -पेखन, दान -दछिणा के ओड़हर करके या लाटरी रकम दुगुना करे के लालच ये बीमा -सीमा चिटफड कंपनी देखाथे। जबर जाल फैलाके उखर ठग फुसारी करके छत्तीसगढ़िया मन लूटत हवे।ओ दिन के बात आय समारु बतात रहिस-
एक झन नवा बड़े बंगला बनाय परप्रान्तिक ह जोन उकरे जगा ल बिसाके बसे रहिस, तेने हर कहे लगिस- लाखों रुपये लगाकर यह जमीन खरीदे और उधर देखे गाँव -गाँव मे अतिक्रमण है। और तो और ये लोग शहरों मे झोपड़ी बनाकर बेजा कब्जा कर रखे है। अतिक्रमण करना क्या इनके जन्मसिद्ध अधिकार है? शासन-प्रशासन नाम की चीज है भला? गाँवो मे इनके पास कितनी जमीने है ये लोग एकड़ मे नापते है । एक हमलोग है जिनके पास फीट मे जमीन है।वह भी जी तोड़ मेहनत कर। बिना सांस टोरे कहिते गिस...
हुकारु देत समारु कहिस - "संगी पुरखौती जमीन जायदाद आय खेती बारी करके जीयत खात हवन।"
भले ५- १० एकड़ हे फेर बपुरामन न मन के खा सके न पहिन ओढ़ सके।सरग भरोसा जीयत हे।कोनो -कोनो ह भागमानी हे जेकर नहर -नाली हवे। तभो ले कर्जा म बुड़े पातर -पनियर ,अम्मट -बिच्छल समे नाहकत हे।कत्कोन अइसे हे जोन गाय -गरु बुढ़ात दाई -ददा अउ ये माटी के मोह छाड कहु कमाय- खाय तको नी जा सके।भूमिहीन बनिहार हाथ -गोड़ के भरोसा कतकोन ठउर- ठीहा किन्दर आथे! फेर ये किसान भाईमन त अपन तहसील जिला तक नइ देख सके। बैमारी सैमारी म भले अस्पताल म भरती होय शहर पहर देखे संउक पुरा होथय।
लधु /सीमान्त ,किसान मन के मरना हे न मरे न मुटाय।उन्खर अनदेखनई झन करो।उकर पुरखौती जिनिस म नजर -ढीठ त झन लगाव।
दबकावत ओहर कहिस- अरे ऐसे कैसे चलेगा ? सब नपेन्गे सभी का अट्टे- पट्टे बनेन्गे !और तमाम अतिक्रमण हटेन्गे !जो है उनपर टैक्स लगेन्गे! आखिर नियम- कानून जैसे कोई चीज भी इस देश में ?
बख खाय सुनत समारु कहे लगिस- "बात तो सोरा आना सच हवय कि नियम कानून ल त सब ल समान मानना चाही? ओ सबो बर हे,फेर पुरखौती ...
अरे का पुरखौती ? क्या कोई बिना पुरखे के है? सबके अपने पूर्वज है और सबको उन पर नाज है। अब तो समान कानून- व्यवस्था पर नाज होना चाही।
समारु के बक्का नइ फुटिस का गोठियातिस ।ओकर बोली के का चिबोली देतीस ।कठुवाय परे हे ..भंजावत .हे मनेमन . ..अब का होही?
डा. अनिल भतपहरी, ९६१७७७७५१४
सी - ११ ऊंजियार -सदन आदर्श नगर सेंट जोसेफ स्कूल के पास अमलीडीह रायपुर छ ग
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