"मंउहा अउ मंउहारी"
मंउहा ल बद्दी झन देव ये बिरिछ बड़ गुणकारी।
सकेल फूल-फर सुखाथे लोगन अपन घर बारी।।
अंगाकर रोटी मं मिंझार या उसन खाथे तरकारी।
लाइ-मुर्रा संग भुंज के खाले बिटामीन भरे भारी।।
कोवा फर के तेल निकार कर ले कत्कोन निस्तारी।।
साबुन बनाले,दिया बार करय घर-दुवार उजियारी।
धुंगियाय बिन बरय चुल्हा मं कांचा येहर बड़ भारी ।।
कोन बैचुकहा सरो के येला मंद बना करिन मतवारी।।
मंउहा हे त मधुबन हे एकर बिन असकट जिनगानी।
निक लागे एकर आबोहवा महकय भांठा मंउहारी।।
-डा. अनिल भतपहरी
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