सतनाम रावटी दर्शन यात्रा
सतनाम रावटी नौ धाम का करके दर्शन ।
हुआ आलोकित कलुषित ये अन्तर्मन।।
हर जगह स्वागत करने उमड़े जन-मन।
गुरुवाणी गान अरु संतों की सत्संग।।
सतमय करने धरा को यह है प्रयोजन ।
मिले सतनामी संत करे सर्वत्र आव्रजन ।।
सतनाम संस्कृति में रावटी यात्रा का प्रचलन।
इष्टमित्रों के संग और साथ चले परिजन ।।
प्रकृति के सानिध्य में बिताए कुछ छण ।
अपने जीवन संधर्ष में भरते रहे नव उमंग।।
मिलती रहे सफलताएं करते रहे सृजन ।
सतनाम सुमरत बीते यह नश्वर जीवन ।।
टीप- सतनाम धर्म-संस्कृति में गुरुघासीदास ने नाम-पान देकर नौ विशिष्ट स्थान पर प्रचार -प्रसार किए यह नौ रावटी धाम के रुप में विख्यात है जो कि निम्नवत है -चिरईपदर,दंतेवाड़ा,कांकेर,पानाबरस,डोंगरगढ़,भंवरदाह, भोंरमदेव,रतनपुर,दल्हापहाड़ ।
सत श्री सतनाम
डा. अनिल भतपहरी
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