Wednesday, December 12, 2018

ये कर दिस

कहें बिंदास अनिल भतपहरी
       आपके वास्ते छकड़ी हमरी
  
सोचे  नइ  रहेन ये भोकवा मन, जंउहर करदिस।
कलेचुप अतलंगहा मन ल,चंउर कस छर दिस।।
छिदिर-बिदिर करिन तेन ल, सुमा डोरी कस बर दिस।
बड़ बकवाय बोवाय बंबरी मं,आमा कइसे फर गिस ।।
जनता ल जोन जोजवा समझिस, उकरेच मुडा़ पुर गिस।
खाइस बाप पुरखा पान,दतला के जम्मा दांतेच झर गिस ।।
           -डा.अनिल भतपहरी

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