#anilbhatpahari
अमलताश
विकट संकट में
फंसे झंझट में
आई प्रिये पास
चिलचिलाती धूप में
ज्यों खिली अमलताश
होकर प्रसन्न प्रकृति
धारित करती स्वर्णाभूषण
हर्षित उपवन अरु तन मन
प्रदर्शित करती वैभव विलास...
उधर तन्वंगी हुई चित्रोत्पल्ला
स्वच्छ जलराशि अमृत पिला
विचरते विहंग करलव
धावित गोधन बेला गोधुलि
अलसाई नयन
टेह बंशी की गूंजी रुनझुन
सुनाई पड़ी अल्हड़ गीत भजन
हो रहे हो मधुमय सहवास ...
मधुर गान मोहिनी मुस्कान मधुर
संग थिरक उठे यह मन मयुर
डोर अनजान सी बंध चली
मृदुल पुरवाही संग गंध बही
मतवाली डाली मदमाती अमलतास
आई तुम पतझड़ में बनकर मधुमास ...
-डॉ. अनिल भतपहरी / 9617777514
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