Friday, October 13, 2023

सत्य सनातन

#anilbhatpahari 

।।सत्य - सनातन ।। 

देख दुनिया 
रीत -नीत 
फैले हुए है 
द्वेष - प्रीत 
अगणित शत्रु
अगणित मीत 
कोई नही 
कबीरा एक 
उठते हृदय में 
भावातिरेक 
राग अनेक 
अनुराग अनेक 
पर विराग से 
आते विवेक 
होते एकाग्र 
चित्त-मन 
जागृत अन्तर्मन 
आहर राग है 
सब राग के
अधिपति शिव है 
बिन आहार 
जीव निर्जीव है 
राग ही  शक्ति  
बिन शक्ति 
शिव शव है 
राग-विराग के
द्वंद्व में पलते  
भ्रम-भव है
विगता गत के 
वही तथागत 
वही अभ्यागत 
वही बुद्ध 
वही संत गुरु 
वही मेधा प्रबुद्ध 
राग त्याग 
वैराग्य लेकर 
प्रणय कैसे 
यह जीवन 
बिन प्रणय 
चलेगा कैसे 
जीर्ण -शीर्ण 
त्यज पुरातन 
जिस से हो 
जन कल्याण 
और इसी से 
स्व कल्याण 
होगा तब  यह 
धरा स्वर्ग 
ढहे द्वेष  मोह  
हो नव विमर्श 
जगति तल का 
हो उद्धार 
प्रिये कांधे पर 
यह विकट भार 
राग विराग युक्त 
कर्म नित्य नूतन 
कल्याणक हो 
हर चिंतन- मनन 
यही तो है शाश्वत 
सत्य सनातन 

- डा. अनिल भतपहरी / 9617777514

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