।।भंडारपुरी गुरुद्वारा का जीर्णोद्धार की घोषणा ।।
सतनाम धर्म- संस्कृति के केन्द्र स्थल भंडारपुरी में मोती महल गुरुद्वारा का जीर्णोद्धार विगत 25 वर्षो अपूर्ण अवस्था में स्थगित हैं। उसे पूर्ण कराने प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री मान. भूपेश बघेल जी द्वारा घोषणा स्वागतेय हैं। इसकी पूर्णता होने पर प्रदेश की शान में एक और नगीना जड़ जाएगा। मेला प्रबंधन व आयोजन हेतु प्रतिवर्ष दस लाख की घोषणा भी सुखद हैं।
ज्ञात हो कि इस चौखंडा भव्यतम महल गुरुद्वारा एक रुपक और दृष्टान्त की तरह बना हुआ हैं। जिनके शिखर के कंगुरे पर तीन बंदर और गरजते शेर फड़ काढे नाग और सप्त चक्र और त्रिशरण त्रिशुल के साथ सोने की कलश था। विजया एकादशी (दशहरा के दूसरा दिन ) को लाखों जनसमूह की उपस्थिति में पालो चढाये जाते हैं। । (जो विगत ढाई दशक से बंद हैं,केवल जैतखाम में ही चढ़ाकर रस्म निभा पा रहे हैं)
ज्ञात हो इस पावन गुरुद्वारा के दर्शन मात्र से अनेक तरह की ज्ञान बोध होता था। यह ईमारत पुरी दुनियां मेञ अनुपम और अकेला था। इसका निर्माण गुरुघासीदास जी निर्देशन में उनके मंझले पुत्र राजा गुरुबालकदास जी ने 1820-25 के बीच करवाएं थे।
आज जीर्णोद्धार की घोषणा समाचार (एफ बी लाइव देख सुन कर ) पाकर मन हृदय प्रफूल्लित हुआ।
सौभाग्य से हमने अपने कैमरा से 1993 में इसकी फोटो खीचें थे ।उसे ही विगत अनेक वर्षों से सोशल मीडिया में वायरल करते आ रहे हैं। नई पीढ़ी के लिए ये चित्र ही धरोहर साक्ष्य हैं कि कैसा स्वरुप था।
।।जय सतनाम जय छत्तीसगढ़ ।।
चित्र - १गुरुद्वारा का विहंगम दृश्य २ तीन बंदर व शेर वाला कंगुरा और शिखर कलश । ३ नवभारत समाचार पत्र
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