Monday, October 17, 2022

वन्या

#anilbhatpahari 

।।वन्या ।।

महुएं की फूल मानिंद 
टपकी है अभी -अभी 
ओस की बुंद ठहरी हैं‌
तृणनोक में अभी-अभी

अनछुआ आरुग सौन्दर्य 
पर कद्र नहीं जमाने को 
सुर्खाब़ के पर लग जाएन्गे 
लिखने वालों के अफ़साने को 

जिन्हे आता नही जीना 
वे मुग्ध है तरीके बताकर 
समझते इन्हें जाहिल-गंवार
अपढ़ - मूढ़ ,ग्रामीण- बेकार  

ये सितारेदार जो चमक रहे हैं
कलफ लगाएँ रंग- रोगन कर 
हक किसी दूसरे का छीन कर 
छल -छद्म , शोषण-दमन कर  

ब‌ने हुए है ये लोग शर्माएदार 
बे़दखल कर किए इन्हे बे़बस 
पर वे आपकी तरह नहीं हैं
हताश निराश और उदास 

आवश्यकता कम ,संतुष्ट सदा
 निश्चछल हांस-परिहास 
सीखे जीवन जीना इनसे 
चमके अँधेरे में सितारे सा उजास

स्वाभिमान और पुरुषार्थ की 
 दृष्टान्त  यह वन्या  
साहस और वीरता की 
प्रतिमूर्ति प्रणम्य वन कन्या 

 - डाॅ . अनिल भतपहरी / 9617777514

No comments:

Post a Comment