मान मंत्री जी का भाषण -
राज्योत्सव एंव अन्तराष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव
कार्यक्रम के सम्मानीⁿ0य मुख्य अतिथि प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री मान भूपेश बघेल जी एंव अध्यक्षता कर रहें सम्मानीय विधानसभा अध्यक्ष मान. डॉ. चरणदास महंत जी अतिविशिष्ट अतिथिगण छग शासन के सम्मानीय मंत्री गण ,विधायक गण , हमारे शासन- प्रशासन के समस्त अधिकारी -कर्मचारीगण एंव उपस्थित समस्त प्रदेशवासियों को राज्योत्सव परब की हार्दिक बधाई ।
इस पावन अवसर पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य समारोह में भाग ले रहे टोंगो ,मोजाम्बिक , मंगोलिया ,रुस,इंडोनेशिया ,मालदीव इजिप्ट न्यूजीलैण्ड और सर्बिया इन नव देश के प्रतिभागी गण एंव देश के सभी प्रांत व केन्द्र शासित प्रदेशों से आए लोक नर्तक दलों का हृदय से स्वागत करता करते हुए उनका हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
उपस्थित विशाल जन समूह सहित प्रदेशवासियों को राज्योत्सव 2022 की हार्दिक बधाई प्रेषित करता हूँ।
चित्रोत्पला गंगा महानदी शिवनाथ ,इंद्रावती के पावन जल से सींचित चालिस प्रतिशत भूभाग पर वनाच्छादित इस रत्नगर्भा छत्तीसगढ़ की स्थापना दिवस को हम लोगों ने एक उत्सव के रुप में मनाते आ रहे हैं। जिसमें प्रदेश की ढाई करोड़ जनता के साथ साथ देश -विदेश के 1500 लोक कलाकार , अनेक विशिष्ट विभूतियां एंव कला साहित्य संस्कृति के विशेषज्ञ और अतिविशिष्ट प्रबुद्ध जनों की सहभागिता का यह मणिकांचन त्रिदिवसीय महाआयोजन हैं। इनके साथ -साथ सभी जिला मुख्यालयों में भी राज्योत्सव मनाए जा रहे हैं-
जय छत्तीसगढ़ ओ मोर महतारी सुरुज जोत म करव आरती
महानदी के पानी म चरण पखारव
सफरी दूबराज के ओ भोग चढ़ावव
ब इठार चंदन पिढुली म करव सिंगार
जावय ज इसे बेटी ससुरार ...
छत्तीसगढ़ महतारी अपनी वैविध्यपूर्ण सांस्कृतिक चेतना के साथ धन धान्य एंव अनेक महत्वपूर्ण आधारभूत लौह अयस्क ,कोयला, बाक्साइट, चुना पत्थर , सहित प्रचुर मात्रा मे स्वर्ण व हीरे आदि का भंडारण के कारण चर्चित हैं।प्रदेश देश - विदेश में धान का कटोरा के नाम से विख्यात है।
सादगी पूर्ण मेहनत कश व ईमानदारी से जीवन यापन करने वालों के लिए " छत्तीसगढिया सब से बढिया " का जो स्लोगन और असीस मिलता हैं। वह अत्यंत गौरवशाली हैं।
प्रदेश के उत्तर - दक्षिण में अवस्थित बस्तर और सरगुजा सूदूर वनाचंल में 41 तरह के जनजातियाँ निवास रत है जिनकी जनसंख्या लगभग 32 प्रतिशत है। मध्य छत्तीसगढ़ में ग्राम्य और नगरीकरण है इन तीनो परिक्षेत्र में भाषाई एंव सांस्कृतिक विविधताएं प्रदेश का गौरव हैं। साथ ही भिलाई -कोरबा जैसे औद्योगिक तीर्थ भूमि में देश भर के लोग निवासरत हैं जो लघु भारत के रुप में दर्शनीय हैं।
प्रदेश का गौरवशाली इतिहास अत्यंत समृद्ध हैं। पाषाण काल से लेकर रामायण महाभारत काल के पुरावशेष विद्यमान हैं। दक्षिणापथ के नाम विख्यात यह भूमि आर्य और द्रविण संस्कृति का समागम स्थली हैं। इसलिए यहाँ दोनो संस्कृति का मिला जुला रुप दर्शनीय हैं। अनेक इतिहास प्रसिद्ध वंश जिसमें मौर्य , गुप्त ,सातवहन , सद् वाह , वाकाटक कलचुरि ,काकतीय ,गोड जैसे राजवंशों का शासन रहा है।
भगवान राम का नौनिहाल माता कौशल्या जी का मायका इस दक्षिण कोशल प्रांत में वनवास के ११ वर्ष व्यतीत किए तो वही कृष्ण अर्जुन के साथ आरंग के राजा मोरध्वज के आतिथ्य प्राप्त किए। महात्मा बुद्ध का आगमन सिरपुर नरेश विजयस के कार्यकाल में हुआ था जहां उन्हे एक सहस्त्र कोषा वस्त्र भेंट किए गये। सम्राट वृहदबल , महाशिवगुप्त बालार्जुन , बौद्ध भिक्षु नागार्जुन आनंद प्रभु इञद्रभूति , संत कबीर धर्मदास , गुरुनानक ,गुरुघासीदास वल्लभाचार्य एंव विवेकानंद जैसे युगपुरुषों का कर्मभूमि व जन्म भूमि हैं।
यहां पर प्राचीन बौद्ध विहार , बुद्ध प्रतिमाएं, ताला का रुद्र शिव , बारसुर ढोलकन पहाड़ बस्तर की गणेश प्रतिमाओं की ख्याति दुनियाभर में हैं। सिरपुर राजिम शिवरीनारायण गिरौदपुरी दामाखेड़ा ,मैनपाट, बस्तर दशहरा जगदलपुर में प्रतिवर्ष लाखों दर्शनार्थी आते हैं।
एशिया महाद्वीप का अकेला इंदिरा संगीत एंव कला विश्वविद्यालय खैरागढ़ छत्तीसगढ़ की शान हैं। जहां देश -विदेश सेवा हजारों विद्यार्थियों और कलावंत निकलते हैं।
अंत में यही कहना चाहता हूँ कि प्रदेश विकास के मामले में सदैव अग्रणी रहे । जनता सुखी व समृद्धशाली रहे -
धान के कटोरा हर धान म छलकय
फूलय फरय अउ अंजोर बगरावय