Wednesday, January 2, 2019

नंवा बछर

"नवा बछर "
नवा बछर मं उठथे सबके,मन मं नवा उछांह।
मगन सब  नाचव-गावव,जोरे  बांह मं बांह।।
जोरे बांह  मं बांह , रेंगव सुम्मत के रद्दा ।
मिलव सब मयारुक मन,बैर ल करव थू बद्दा।।
यही जिनगी के सार सिरतोन ,सुन ले बात हमर।
सिरतो मया रही अंतस म त ,रोजेच  नवा बछर।।
      -डा. अनिल भतपहरी९६१७७७७५१४

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