[10/22, 11:45] 886477: अहो बाबा घासीदास गुरु के मंगल हो
जे ला गावत हे चतुर सुजान ..
सोई फूल फूलय संतन घर मं हो
जंहा पानी पवन के निरवाह ...
जेहि चंढ़ि बोले निहन्छर हो
ज्ञानी गुरु हवे कड़िहार ...
संत उबारे लोग लेगिहंय हो
न इते अमरित पिये मं अघाय ...
सेजरी बइठ सुख बिलसय हो
न इये हंसा जावत हे सतलोक ...
बहुर के उन नइतो आवय हो
करहिं अटल कय राज ....
बहुर के उन नइतो आवय हो
आवागमन के होइ हैं नास ...
कहय हमर गुरु घासीदास
जे न ला गावत हे संत सुजान
घासीदास गुरु के मंगल हे .....
[10/22, 11:45] 886477: उवत चंदरमा अति निरमल हो
न इते बुड़त जग अंधियार ...
अहो बबा कोन तोर कुटियां छवइहैं हो
कोनो देवय पिरितियां के भार ...
संत- महंत मिल के कुटियां छवइहैं
सद्गुरु देवय पिरितिया के भार...
कुटियां के आगे ठाड़े पांच बैरगियां
उनकर जोत हंय आपार ...
पांच बैरगियां ल देबोन द ई सुन्दरियां
उनकर रुप हंय आपार ...
उन सुन्दरियां ल देबोन एक जतुलियां
दुनों मिल पिसत हंय पिसान ...
कोन सखि पिसथंय रतन पिवरी
कोन पिसथंय सेत पिसान ...
सुम्मत सखि पिसथंय रतन पिवरी
प्रेम सखि पिसथंय सेत पिसान ...
चार जुग बितगय कबहु न निकले
संसो मं फंसगय परान ...
टुटगे टेकरियां फूटगे जतुलियां
सुन्दरी मन गइन पराय ...
पांचो बैरगियां गइन लेनहार
न इते कबहुंन लाये लेवाय ...
उवत चंदरमा अति निरमल हो ....
[10/22, 11:45] 886477: अहो बबा चला चली झुलबोन हिंडोलवा हो
नहकबोन गंगा जमुन के पार हो ...
काहेन के बनि गय हिंडोलवा हो
काहेन बहे गंगा जमुन के धार हो..
नाम के हिंडोलवा शब्द बंद लगाय
नाड़िन बहे गंगा जमुन के धार ...
कोन सखि झुलिगे हिंडोलवा
कोन झुलावन हार ...
सुम्मत सखि झुले हिंडोलवा
प्रेम सखि झुलावन हार ...
घासीदास गुरु के मंगल ये हो
जेन ल गावत हैं संत - सुजान ....
[10/22, 11:45] 886477: बरसत हे अमरित धारा गगन बीच बरसत हे अमरित धारा ...
चांद सूरुज जस जोत जलत हंय
झलकय नवलख तारा ...
टपक -टपक चुंहे बुंद गगन से
पी लिहा संत पियारा ....
अमरित धार लाये गुरु घासी हमारो
सब संतन पीके होजा हुसियारा ...
[10/22, 11:45] 886477: कोन जाने संतो कोन जाने
कोन माने संतो कोन माने
चरण गति महिमा ल कोन जाने ...
चरणों के महिमा ल घासी गुरु जाने
चरणों के महिमा ल ज्ञानी गुरु माने
चरणों के महिमा कबीर गुरु जाने
चरणों के महिमा ल ज्ञानी गुरु माने ...
चरणों के महिमा ल रैदास गुरु जाने
चरणों के महिमा ल ज्ञानी गुरु जाने ...
अंध बहेरा मूक जग संसारा
मति अगम इकर सनमाने ...
चार चरण अउ चार बरन हे
गुरु बिन जग अंधियारा
बिन इकर कैसे भवपारा ...
हो चरणों के महिमा ल उही जाने
चरणों के महिमा ल चेला जाने
चरणों के महिमा ल गुरुमुख माने ...
[10/22, 11:45] 886477: हंसा बाचय न कोय ,हंसा उबरय न कोय
बिन सतनाम सुमरि हंसा बाचे न कोय ..
धरती मं रहि ले या अगास मं बसि ले
जाहि बिनास होय ...
चांद संग रहिले कि सुरुज संग बसि ले
ग्रहन गरासि हंय तोय ...
जल में रहिले कि थल मं बसि ले
मगरिन नागिन डसिहंय तोय ...
घर मं रहिले कि बन मं बसिले
नारि बघनीन झपटहिं तोय ..
घासीदास गुरु के मंगल हो ...
[10/22, 11:45] 886477: गुरु बरजत हे बारंबारा
हो संत भाई चेतहुं कर्म सुधारा ...
बीड़ी मत पियों संतो मुखड़ा जलत हे
धुंगिया रचि गं यसुघ्घर काया ...
मंद मत पियों हंसा भंग मत पिओं
तोला बइहा कइही संसारा ...
मांस मच्छी खाओं मत जीव मत मारों
लोगन कइही हतियारा ...
झूठ मति बोलव चोरी मत करव
न इते पकडि होवे अपमाना ...
घासीदास कहत समुझाई
फिरत जंग संसारा ....
[10/22, 11:45] 886477: मंदिरवा मं का करे जइबोन
अपन घट के देव ल मनइबोन ...
पथरा के देवता हालय न डोलय
काही करले न सुनय न बोलय
काहे से पिरित लगाइबोन ...
तिरथ के पंडा ह जग भरमाए हे
पोथी-पत्रा,गीत-भजन मं रिझाए हे
दक्षिना मं काबर लुटाबोन ...
घट मं गंगा घट मं हे जमुना
आठो पहर संगे मं बसना
घटेच मं तिरबेनी नहाबोन ...
घर परिवार के सेवा जतन कर
आनंद मंगल जुरमिल गाबोन ...
कहे घासीदास बोलता ल छाड़िके
काबर पथरा मं मुड़ पटकबोन
[10/22, 13:34] 886477: मंगल पंथी गीत
साखी -सत फूल घरती फूलय अउ
सुरुज फूलय अगास ।
कंवल फूल मन सागर फूले
जिहां खेले गुरु घासीदास ।।
तोला नेवता हे आबे गुरुघासीदास
हमर गांव मं मंगल हे
आबे आबे गुरुबाबा घासीदास
जुनवानी गांव मं जयंती हे ...
करिया बादर छाए हवय घपटे हे अंधियार
मनखे ल मनखे मानय नहीं घोर अतियाचार
बगरादे बबा सत के परकास ...
दुनों आंखी हवय फेर होगे मनखे अंधरा
मोह मया मं मगन होके पूजय लोहा पथरा
सिरजादे मनखे मन के हिरदय मं धाम...
आगी लगगे चारों मुड़ा मं जरगे ये संसार
आके अमरित चुहा दे बाबा करदे ग उद्धार
बिनय करत हवन हमन बारंबार ...
[10/22, 13:34] 886477: विश्व गुरुघासीदास
घासीदास घनघोर गुरु कोटी कोटी परनाम ।
कीट भिरंग जीव तारिहौं करिहौं आप समान ।।
विश्व गुरु घासीदास है नाम
ये गुरुजी तेरों जग मं
पावन पंथ चलाये सतनाम
ये गुरुजी सरी जग मं ...
गिरौद बसे अति कट- कट जंगल
जाबो हम गावत तोरे जस मंगल
पहुचेन सुघ्घर सतघाम...
कुमति मन मं सुमति बसावें
भटकत हंसा ल ज्ञान मारग बतावे
कलुष मन मं सत के परकास ...
हरो मन के पीरा गोसाई मनखे दु:ख
कण- कण में आशिष झरे हे सतपुरुष
करे दरसन संत समाज ...
अनिल तेरों दरसन को तरसे
आस लगाए गुरु बरसों बीत गे
कृपा करहुं अपन बालक जान ...
[10/22, 13:34] 886477: सफूरा का पुत्र शोक
बेटा के दु: ख मं रोवत दे दाई सफूरा
हाय रे हाय ओकर फाटय मन ह
जइसे पान केरा ...
जंगल झाड़ी डोंगरी पहाड़
का कहिबे दु: ख सरग ले आगर
विधि के परे हे फेरा ...
कलप कलप सफूरा ह रोवय
रहि रहि अमरु के सुरता आवय
काबर लुटे लुटेरा ...
ये जग ह मोह मया के खेल
आना- जाना लगे हे रेल- पेल
पंछी उड़े छोड़ बसेरा ....
गुरु घासी समझावे आंसु पोंछ धीर धरावें
कहे सुन ओ सफूरा आज फूटगे मोह के गघरा
धियान लगा तंय सत मं
बगरा अंजोर अंधियार जग मं...
[10/22, 13:34] 886477: कायाखंड भजन
साखी - छोटे -छोटे कन कन के, बने हवय तोर अंग
तिनका कब उड़ि जाही , फेर होबे तय अपंग
तन के मोह छोड़ परिंदा पिंजरा बिन ये मयना
मया म भुलाए सतनाम बिसारे
काबर तय ये नयना...
बिन पाटी के मचान ,कइसे बाचही मितान
तंय जतन कर लेना रे, संगी भजन कर लेना रे ...
हाथ गोड़ तोर मिलके बनगे ये माचा के खुरा
देखते देखत सचर जाही येमा एक दिन घुन्ना ...
हाड़ चुंदी मिलके बनगे खटिया तोर बरगथियां
सोच समझ के सुत बे नइते टूट जाही अधरतिहां ...
काम क्रोध लोभ मोह ह बनगे ये माचा के चोर
एक दिन चोरी हो जाही संगी
नोहय तोर- मोर...
धूंका गर्रा ल बचावत रहिबे तंय दिनराती
काचा तोर मचान रे संगी रात हवय बरसाती...
गियान के अगिन मं पको ले तोर तन मन ल
कुलकत एक दिन जाबे संगी साहेब कद सरन मं ...
-डा.अनिल भतपहरी
[10/22, 14:28] 886477: निर्गुण भजन
सतनाम सरित प्रवाह ,जय ज्ञान गुण वंदन ।
यह काया पाषाण भये, सद्गुरु बने है चंदन ।।
मस स्याही मंगा ले तन कपड़ा रंगा ले इहा मिलत हवय सबरंग...
जर के बरबे बर के भुताबे
धूर्रा बनही तोर अंग ...
पाप मं धन दोगानी कमा ले संगी
झुठा मं तय नाम
धरम छाड़ के करे कमाई
आही तोर का काम
मरबे त का ले के जाबे तयहर अपन संग...
बेटा -बेटी , संगी -साथी छूट जाही नता गोता सब
नाम बिना तरसबे रे चोला पछताबे पाछु तब
तरस तरस के मरबे रे संगी
रोबेच अंतरमन ...
काही न इ चिन्हे ये दुनियां मं परत हवय झमेला
सउदा कर ले सोच- समझ के
मया के लगे हे मेला
खुल जाही एक दिन आखी के
टोपा अउ भरम ...
करनी के लिखा न मिटय न खिरय
काहीच कर ले न घटय न बढ़य
ठठाबे मुड़ धर के संगी भाग अउ करम ...
डा अनिल भतपहरी
[10/22, 14:29] 886477: सुमरन
प्रथम सुमरनी सतनाम सुभ लगन बिचारि दिहें।
जा घर में भाव भक्ति नही आई के
पछिताई रहें।
साकत अंगना जहुरियां- संजुरियां सुख नींद सोई रहें।
संतन अंगना चंदन बिरछा सुवांस अधिक सुहाई रहें।
कपटी घर दूग्धा- भरम काल सिर धरि खड़े रहे ।
संत घर बरै सतजोत सतनाम के स उदा लगे रहे।।
मुरख अंगना अगिन कर बिरवा अंतस ओकर जलत रहे ।
साहेब घर अमृत जल ओगरा
संत जन पी अधात रहें ।।
निस अंधरिया बिपत भारी
पापी अंगना छाये रहे।
धर्मी घर सतजोत जले
सुख -संपदा छाये रहें।
संकलित
[10/22, 14:44] 886477: सतनाम जागरण भजन
आवव जुरमिल सतनामी एकता बांधव जी
गुरुघासी के महिमा ल घरोघर बगराव रे...
गिरत हवय हमर समाज सतनामी
देश भर के गांव-गांव मं होत बदनामी
ओ बदनामी ल रोके सेती आघु आवव रे...
अ इसन तुमन सुन्ता बांधव सकय न कोई टोरे
संगी - जहुरियां मन मं मिल जव रेंगव बइंहा जोरे
फौलादी एकता के ताकत देखावंव रे ...
तुमन मिल जावव ज इसे समुन्दर कस पानी
तरिया नरवा नंदियां सबों के होथे कुरबानी
सत रुपी दीया मं तेल बाती बन के बरव रे ...
मांगत हवय हमर समाज कुरबानी
कतक बेर ले सुतहू जागव
बघवा सतनामी
टेंवत मेंछा ल चारो कोती गर्रावव रे ...
-डा.अनिल भतपहरी
[10/22, 19:40] 886477: "तपोभूमि गिरौदपुरी सतधाम महात्मय "
साखी - तीनो लोक से अति पावन तपोभूमि गिरौदपुरी सतधाम।
सुरम्य वन प्रातंर छाता पहाड़
जोगनदी अमृत कुंड सुखधाम।।
होवत हे गिरौदपुरी मं शोर
बगरगे दुनियां मं अंजोर सत के
महिमा गुरुघासी बाबा के बड़जोर..
इहंचे हमर गुरु ह जनम लेये हे
अमरौतिन कुख हरियर होये हे
घंट घुमर मृदंग बाजे चहुंओर ...
पहाड़ परबत झुमरय नाचय
नदियां तरिया मीठ गीत गावय
अमरित बोहावय खोरे खोर ...
दगर दगर बरय काया घासीदास
जइसन चंदरमा पुन्नी के पुनवास
तरसय नयना दरसन बर मोर ...
चलव चली दरसन बर गुरुधाम
जपत सुमरत सत श्री सतनाम
परसन होही मन तोर -मोर ..
डा.अनिल भतपहरी
[10/22, 20:00] 886477: जपव जय गुरु घासी जी
आये हस अकेला नरतन जाबे तय अकेला
सउदा कर ले सोच समझ के मया के लगे हे मेला ...
जपव जय गुरु घासी जी
काटे मन उदासी जी
जय हो बाबा गुरु घासी जी
काटो जम के फांसी जी ...
जब जब मानुस उपर बाढ़िस घोर अतियाचार
तब तब संत गुरु ज्ञानी मन लेइन
अवतार
बुद्ध कबीर रैदास नानक गुरु घासी जी ...
शोषित मनखे ल उबारे बर देइन हे सद्ज्ञान
कब तक सुते रहिहु कहके
जागाइन मान अउ सभिमान
ज्ञान के कपाट खोलय गुरु अमरित बानी जी ...
बहत हे सत ज्ञान गंगा जी भर के नहालव
भरम के टोपा उधारव सत करम अपना लव
दीया बरगे सतनाम के
घपटे अंधियारी जी ...
सात सिद्धान्त नव रावटी बियालिस अमरित बानी
अंचरा मं गठिया जतन के
जीवन भर के आड़ी पूंजी जी ...
येकर पाए ल मिलही मुकति जी ..
डा.अनिल भतपहरी
[10/23, 15:09] 886477: सतनाम निर्गुण भजन
सतनाम सुमर ले चोला
बहत हे संत ज्ञान गंगा
तंय जी भर के नहा ले।
जनम भर के पाप ल संगी
आज तंय धोआ ले ।।
सतनाम सुमरे चोला
बड़ मन भावन अमरित पावन
ज्ञान गंगा नहा ले चोला
मया के बन मं घुमत हवस तय शेर बन के
संग के भाई हिरना मिरगा ल
मारत हस तय घेर के
परही पाछु पछताना तोला...
सुवारथ बर तय लहु बोहाथस
कतको ल मार कतको ल खाथस
हिंसा अतियाचार बढ़ोय ल बढ़ही
पाप धोये म पाप थिराही
बरंबार बरजत हे अनिल हा ...
पिंजरा के मइना कब उड़ जाही
माटी हर माटी मं मिल जाही
मरत बेरा तय दु:ख पाबे
तब साहेब के नांव सुमरबे
कहिबे पार लगादे मोला ...
-डा.अनिल भतपहरी
[10/23, 15:48] 886477: निर्गुण - भजन
तंय सुमर ले सतनाम
साखी -तन के मोह छोड़ परिंदा पिंजरा बिन ये मइना ।
मया मं भुलाए सतनाम बिसारे
काबर तय हर ये नयना ।।
ये माटी के काया हर नइ आवय कछु काम
संगी ये माटी के चोला हर नइ आवय कोनो काम
तंय सुमर ले सतनाम तंय हर भजले सतनाम ...
बाल पन सब खेल गवाएं
भौंरा -बाटी बिल्लस मं भुलाएं
बीतगे उमरियां तोर तमाम
नइते सुमरे तंय हं सतनाम ...
आए जवानी रंग मातन लागय
गलियन खूब सुहावन लागय
बीतगे उमरियां तोर तमाम
कभु न इ सुमरे तंय सतनाम ....
कीरा कुम्हारी कस महल बनाएं
माया मोह महुरा मं छल बौराएं
बीतगे उमरियां तोर तमाम
कभु नही सुमरे तय सतनाम...
आए बुढा़पा सर डोलन लागय
ये काया ह गरुवावन/डरुवावन लागय
बीतगे उमरियां तोर तमाम
तभोच ल जपे नही सतनाम ...
-डा.अनिल भतपहरी
[10/23, 16:03] 886477: कायाखंड निर्गुण भजन
अहो मन मेरा
साखी - हाथ गोड़ नंदी नाला भये
पेट भये समुंद ।
दु ई नैन भये कारी बदरियां ,
टपक टपक चुहे बुंद ।।
भजौ हो गुरु के चरणा
अहों मन मेरा ...
अहों मन मेरा साहेब अहों मन मेरा ...
नयना मोर कहिथे मंय गुरु दरसन करतेंव
गुरु दरसन करके परम पद पाइतेंव
परम पद पाइके ये हंसा ल उबारितेंव ...
नाक मोर कहिथे चंदन सुवांसा लेइतेव
चंदन सुवांसा लेइके ये हंसा ल उबारितेंव
ये हंसा ल उबारिके परम पद पाइतेंव ...
कान मोर कहिथे मंय गुरु गुण सुनितेंव
गुरुगुण सुनके ये हंसा ल उबारितेंव
ये हंसा उबारके मय परम पद पाइतेंव ...
मुख मोर कहिथे गुरु के गुण गाइतेंव
गुरु गुण गाके ये हंसा उबारितेंव
हंसा उबार के परम पद पाइतेंव ..
हाथ मोर कहिथे मंय दान पुन करितेंव
दान धरम करके अम्मर लोक जाइतेंव
अम्मरलोक जाइके ये हंसा उबारितेंव ....
पैर मोर कहिथे मंय संत द्वारा जाइतेंव
गुरु द्वारा जाइके गुरु के दर्शन करितेंव
गुरु दरसन करिके परम पद पाइतेंव ...
डा अनिल भतपहरी
[10/23, 22:46] 886477: बीच गंगा बहत हे मंझधारा हो
गिरौदपुरी अस धाम नही भंडारपुरी अस गुरु ग्राम
खपरी -खडुवां कस गांव नही
तेलासी जुनवानी जस संतधाम
बीच गंगा बहे मंझधारा हो
मिले बर होही संतो मिल जाहूं न
एक गंगा बहे साहेब गिरौदपुरी धाम में
जिहां गुरु घासी बाबा लिए अवतारा हो ...
एक गंगा बहे साहेब भंडारपुरी धाम में
जिहां बने मोती महल गुरुद्वारा हो ...
एक गंगा बहे साहेब तेलासी नगर मं
जिहां अम्मरदास के सजे दरबारा हो ...
एक गंगा बहे साहेब खडुआ पुरी में
जिहां सुघ्घर सिरजाए संतद्वारा हो
एक गंगा बहे साहेब चटुआ धाट में
जिहा अम्मरदास समाधि मे बहे जलधारा हो
एक गंगा बहे साहेब खपरी गांव में
जिहा के महिमा हे अपरंपारा हो ...
एक गंगा बहे साहेब कुआ बोड़सरा में
जिहां बालकदास के लगे दरबारा हो ...
एक गंगा बहे साहेब जुनवानी गांव मे
जिहा के पथरा से सिरजे महल गुरुद्वारा हो ...
एक गंगा साहेब नव रावटी धाम मं
जिहां गुरु चरण परे संत आधारा हो...
[10/23, 22:56] 886477: निर्गुण भजन
रसनाम
मैं तो छान छान पींयव रसनाम
करु राहय या कसा राहय ...
नाशवान तोर ये शरीर मं अत्तर तेल लगा ले
छल कपट अउ मोह के रोग मं कहां ले ममहावय...
निरमल पानी मं रोज नहाए मन के मइल नही जाय
मछरी हर पानी मं रहिथे
धो ले बास नइ जावय ...
करनी के लिखा न टुटय न जुड़य
काही कर ले न धटय न बढ़य
कागद होतिस सब बांच लेतेन
करम न बचा जावय...
डा अनिल भतपहरी
[10/23, 23:08] 886477: जागृति गीत
बड़े कुल के बेटा
तय तो बड़े कुल के बेटा,काबर पुरखा के नांव मेटा
अजी सतनामी हवस बड़ भागमानी
जग करे तोर बड़ाई अरे जाग अभिमानी ...
भरुआं काड़ी काट काट गांव घर बसाये तय
जंगल उजार खेत- खार सिरजाए तंय
धरमी चोला हवस तय तोर करम किसानी ...
खान- पान ब्योहार पबरित जीवन सादा सादा तोर
लहुं पसीना एक करथस
कमाथस तय जांगर टोर
अप्पन मरजी के मालिक न इ करेस गुलामी ...
भुखे ल तय भोजन देथस ,पियासे ल पानी
हिरदे सफ्फा तोर संगी, उचारे मुख गुरु बानी
खर कमाई खाथस न इ करस
बइमानी ...
पउनी पोसे बारो महिना तंय अप्पन परतापे
आज तोला का हो गय, बइठे हस कठवाये
मति हर हजागे कइसे करत हस नदानी ...
डा. अनिल भतपहरी
[10/23, 23:38] 886477: सतनाम जागरण गीत
का होगे संगी हो सतनामी के अकल ल
मार डरिस इकर छकल बकल ह..
दस रुपिया के पालो अउ दस हजार के नाचा
देखे सब बइंहा जोरे आचा अउ बांचा/अजब तमासा बन
कइसे भक्ति होही अइसन चहल पहल मं ...
सौ-सौ रुपियां बस्ती मं चंदा ल बरारे हे
दानी-दरवन चंपा-बरसन चंदैनी लगाए हे
मोह डरिस सब ल इंकर चोहल ह ..
भाव-भक्ति भजन छोड़ ददरियां सुहावत हे
बिगड़त गांव बस्ती उढ़रिहा भगावत हे
लिगरी लगावत हवय नाचा के नकल ह ...
बिहने उसनिंदा काटे पीये मंउहा मंद
नेवता हिकारी करे कुकरी बोकरा संग
हिसाब -किताब करत माते हे अलहन हं ...
अइसन चलागन मं समाज ह गिरत हे
जगा जगा निंदा चारी थाना कछेरी होवत हे
चेतव ग सतनामी भाई बिनती करत हे अनिल हं ...
-डा.अनिल भतपहरी
[10/23, 23:50] 886477: कइसे कहाबे सतनामी
क इसे कहाबे सतनामी रे पापी चोला कइसे कहाबे सतनामी
तोर करम असत तोर चाल अधम बदनामी रे पापी चोला ...
काम बुता करे नही जुआ चित्ती खेले
मंद मउंहा चुर रहिके मांस मछरी खाये
करे अप्पन मनमानी रे पापी चोला...
निंदाचारी करे खने आन बर खचवा
छल -कपट चोरी ,झगरा अउ बलवा
मुड़ मं परे तब्बल टांगी रे पापी चोला ...
घर नारी के सथरा छिनाए, सथरा छिनाए
पर नारी के मान मिटाए मान मिटाए
चोरी लबारी बइमानी ...
सोई सतनामी जेकर सत करम हे
सत अहिंसा जेकर परम धरम हे
न इये पुजवन न देवता धामी
संग मं हवय गुरु घासी के बानी...
[10/24, 08:29] 886477: मंगल पंथी
नेवता हे आबे गुरुघासीदास
सत्त फूल घरती फूलय गुरु सूर्य फूलय अगास
कंवल फूल मन सरवर फूलय जिहां खेले घासीदास
तोला नेवता हे आबे गुरु घासीदास हमर गांव जयती हे
आबे आबे गुरु बाबा घासीदास
हमर गांव पंथी मंगल हे ...
करिया बादर छाए हवय धपटे हे अंधियार
मनखे ल मनखे मानव नही घोर अतियाचार
बगरादे बाबा सत के परकास ...
दुनो आंखी हवय फेर होगे मनखे अंधरा
मोह मया मगन होके पूजे लोहा पथरा
सिरजादे मनखे के हिरदय मं धाम...
आगी लगे चारों मुड़ा मं जरगे ये संसार
आके अमरित चुहों दे बबा कर दे ग उद्धार
बिनय करत हवन हमन बारंबार ...
डा अनिल भतपहरी
[10/24, 13:59] 886477: उलटबासी निर्गुण भजन
साखी -कंठी तो फांसी भये तिलक भये तलवार
सतनाम महुरा भये जोत पीये चतुर सुजान
डोंगा खड़े खड़ भीतर चलाए अजब डोंगहार
जेमां चढे़ नरवा नदियां लेवत मजा मार
गति -मति देख जग के लागे बड़ कौव्वासी
राजा बपुरा हुकुम बजावे राज करत चपरासी
नइये इहां कोनो कखरों चिन्हार
महतारी बाप खेले अंगना मुहाटी
लइका करय खेत मं निंदा बियासी
क इसन कम इया थके न जांगर ..
भोभला बबा हर चुहकय कुसियार
नाती नतुरा मन के बोहावय लार
करय काबर लुहुर लाटर
-डा अनिल भतपहरी
[10/24, 14:45] 886477: मंगल पंथी गीत
गुरुघासीदास के वंदना गुरु अम्मरदास परनाम ।
बालकदास तोहि सुमरंव गुरु सिद्ध करों सब काम ।।
गले मं डारव जय माला हो गले मं डारंव जय माला ।
जय माला हो जय माला
मोर सद्गुरु घासीदास बाबा के गले मं डारंव जय माला ...
पिता महंगूदास बबा के गले मं डारंव जय माला
माता अमरौतिन दाई के गले मं
डारंव जयमाला ...
तपसी गुरु घासीदास के गले मं डारंव जयमाला
सती सफुरा माता के गले मं
डारंव जय माला ...
गुरु पुत्र संत अम्मरदास के गले मं डारव जयमाला
गुरु पुत्र राजा बालकदास के गले मं डारंव जय माला ...
गुरु पुत्री माता सोगद्रा के गले मं डारव जय माला
संत बुधु देवान के गले मं डारव जय माला ....
लम्मरदार गुरु आगरदास के गले मं डारव जय माला
राही राधा माता मन के गले मं डारंव जय माला
गुरु वंशज गुरु माता मन के गले मं डारंव जय माला
संत -महंत भंडारी -साटीदार के
गले मं डारव जय माला
सकलाए सब संत भाई के गले मं डारंव जय माला
दाई दीदी बहिनी मन के गले मं डारंव जय माला ....
[10/24, 14:57] 886477: सतनाम मंगल भजन
साखी - लक्ष्य कोस मं गुरु बसे सुरता दिहंव पठाय ।
ज्ञान तुरि असवार है पल आवय छिन जाय ।।
छेपक -पल आवय छिन जाय होत है सकल काल की छय ।
बार बार सब प्रेम से बोलव सतनाम की जय ।।
सतनाम रस गोला संत भाई सतनाम रस गोला ।
सतनाम के जपन करे से
मुक्ति पात है चोला ।।
सतनाम सतनाम सतनाम सार गुरु महिमा आपार
अमरित धार बोहाइ दे
हो जाही बेड़ा पार
सतगुरु ज्ञान लखाई दे ...
सतलोक ले गुरुघासी आए हो
संत जगाए बर सत पंथ चलाए हो
संत जगा के करिस हे उद्धार ...
अम्मरलोक ले अम्मरदास आये हो
अमरित सींच- सींच संत जगाए हो
संत जगा के करिस हे उद्धार ...
ब्रम्ह लोक ले बालकदास आए हो
बनके राजा गुरु राजपाट चलाए हो
संत महंत बनाए भंडारी साटीदार
यह संसार मं आगरदास आए हो
सतनाम पंथ ल गांव गांव फैलाए हो
आप से हवय गुरुवंश विस्तार ...
[10/25, 11:11] 886477: जपो जपो सतनाम भजो भजो सतनाम
मनखे के नोहय गा येहर काकरो नाम
सत एक रद्दा ये जीव के सहारा ये
येला पकडे ले भव सागर पारा ये
सुनो समझो गा आज देखो परखो गा आज ...
सत ह देवइय्या ये सत ह ले व इय्या ये
सत सत मं सिरजे हवय जग के जम्मो काम
जपो जपो सतनाम ....
तीन जोग तीन गुण जग मं फसाए
छै ठन बिकार मं ये तन ह बेमझाए
रीन धन धटत जुड़त जिनगी बीते तमाम ...
जपो जपो सतनाम
मनखे के नोहय येहर काखरो नाम..
[10/25, 11:11] 886477: लगे हवय नाम के आखाड़ा संत घर मं
लगे हवय नाम के अखाड़ा ...
साधु- संत गुरु जुर मिल बइठे
सतनाम के करे परचारा
लगे हवय नाम के अखाड़ा ...
दया धरम हिरदे मं राख लव
पाप से रहियो नियारा
लगे हवय नाम के अखाड़ा ...
सतनाम दास सब संत चेतावे
मानो बचन हमारा
लगे हवय नाम के अखाड़ा ...
[10/25, 11:11] 886477: साधु अखाड़ा भजन
आज आना होगे ग ,कल जाना होगे गा
ये माटी के काया ह, पुराना होगे गा
बालक पन ल खेलि के बिताए
जवानी तिरियां संग म भुलाए
दिवाना होगे गा मस्ताना होगे गा
तीसर पन नाती बेटा मं गंवाएं
कहां कहां चीज बस ल कमाएं
तरसाना होगे ग छटपटाना होगे ग
चौथा पन जांगर गरुवाएं
मन के दौर कहां अघुवाएं
सियाना होगे ग पुराना होगे ग
ये माटी के काया पुराना होगे न ...
[10/25, 11:11] 886477: साधु अखाड़ा
संत मिलन को जाइये तज माया अभिमान
ज्यों ज्यों पग आगे धरत कोटिन यज्ञ समान
लगे हवय नाम के आखाड़ा संत घर मं
लगे हवय नाम के अखाड़ा ...
साधु- संत गुरु जुर मिल बइठे
सतनाम के करे परचारा
लगे हवय नाम के अखाड़ा ...
दया धरम हिरदे मं राख लव
पाप से रहियो नियारा
लगे हवय नाम के अखाड़ा ...
सतनाम दास सब संत चेतावे
मानो बचन हमारा
लगे हवय नाम के अखाड़ा ...
[10/25, 11:11] 886477: माया बाजार
साखी -आये हस अकेला नरतन जाबे तय अकेला ।
सोच समझ के सउदा कर ले माया के लगे हे मेला ।।
लगे हवय नाम के बजारा हो संत जन
कर ले सउदा सोच बिचारा हो संत जन
तन हवय हटरी मन हे बजरिहा
सुरता कर स उदा ये संगी डहरिया
जग मं सत- असत के परचारा ...
जीव हवे बनियां लोग हवे ग्राहकी
भरम हवय बाट तराजू मन अटकी
सत काठा मं नाप आधारा ...
[10/25, 11:11] 886477: सत के सोर देवइय्या
सत मं उबार ले
सत के डोंगा मं चढ़ा के
ये जग ले पार ले ...
भव बंधन माया सागर
भंवरा लहरा दहरा हे
बेटा बेटी नाती नतुरा
संग नारी के जबर पहरा हे
सत के डोंगा चढ़
ये जग ले पार हे ...
बीच मंझधार फंसे हव
चारो कोती बड़ गहरा हे
रंग बिरंग भेष बड़ भारी
मन मतंग गजब लहरा हे
सत के डोंगा चढ़
ये जग ले परले पार हे ...
[10/25, 11:11] 886477: चेतावनी मंगल भजन
तय काबर बोलत हस अभिमानी से
न इये भरोसा जिनगानी के
किरा रुप गरभ मं आए
नौ महिना माता तन समाए
सतपुरुष बरदानी ये
दसो दरवाजा फूटहा हवय
पाच तत्व तन रुप सजावय
सूरज चांद बरदानी के
मन के रुचे तन ल खावय
पेट के हड़िया मं वोई रोवय
चूरत अगिन पानी से ...
ऊंच- नीच मं भाठी बिगड़ गय
हवा पानी संग आगी बर गय
सतपुरुष के पुरजा बिगर गय
रकत के दौर जीव सकलागय
तन ल गढिया दे माटी के
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