Monday, June 10, 2019

अबुझ सुझ- बुझ

अबुझ सुझ-बुझ

कुछ हैं जिनके
कुछ होते नही
पर वे कुछ न होकर
बहुत कुछ होते हैं
दो धातु की क्रिया में
लोगों की प्रतिक्रिया में
बिना कुछ किए 
उनकी उपस्थिति ही
महत्वपूर्ण होते है
दोनों को पिघला दे
उनकी वजूद मिटा दे
ऐसे चूर्ण होते है
सच में  ये घटक
अति महत्वपूर्ण होते हैं  
पीछे लगकर शून्य कैसे
दसगुणा महत्ता बढ़ाते हैं
ऐसे ही कुछ लोग किसी की
नित शोभा बढ़ाते हैं
वे कुछ की पूछ 
बड़ी ही अबुझ
ग़र सुझता हो कुछ
बुझ सको तो बुझ
ये अबुझ सुझ-बुझ
भैय्ये ! न हो कन्फ्युज...
  -डा. अनिल भतपहरी

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