Tuesday, January 24, 2023

प्रेम गीत

प्रेम गीत 

जी हां 
यह कहना 
दर्प होगा
कि तुम्हारी 
दुनिया हूँ 
पर सच हैं
कि तुम 
मेरी दुनियां
बन रही हो 
इस तरह से 
आबाद हुई 
दुनियां को 
ये दुनियादार 
उजाड़ते क्यो हैं
विश्वास में 
विष धोलते क्यो हैं 
ये मत सम्प्रदाय 
चलाते क्यो हैं
बनकर मठाधीश 
दूसरों की मठ 
उजाड़ते क्यो हैं 
प्रेम में पहरा 
लगाते क्यो हैं 
जात-पात का सेहरा 
सजाते क्यो हैं

   - डॉ. अनिल भतपहरी /9617777514

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