Monday, September 26, 2022

सिकुन

जनश्रुति पर आधारित लोक कथा 

"सिकुन "

   गिरौदपुरी म तपसी संत के दरसन-परसन करे बर अड़ताफ ले मनसे  जोत्था -जोत्था आय लगिस । बड़ सरधा भक्ति ले औरा- धौरा तेंदू तीर मं सकलाय  मंगल -भजन करय ।खाल्हे चरणकुंड के जल में असनाद करय ।सुघ्घर जेवन बना के  गुरुबानी सुन बड़ किरतार्थ होय अउ अपन ल भागमानी मानय।
   जात्रा ल  लहुटत घानी बांस के पोंगरी मं चरणामृत अउ अमृत कुंड ले अमरित जल ले जय । चरणकुंड के जल ल खेत खार छिंचय अउ अमरित जल ल पुजा पाठ मं बउरय ।  
      बांस के पोंगरी बनाय  अउ बेचे सेती  बिंझवार -कंडरा मन ल रोजी- रोजगार तको  मिले घरलिस  चरिहा टुकना सुपा -झंउहा  त बनाबेच करय अउ तीर तखार हाट बजार म बेचत सौरी नारायण मेला मं महिना भर सीजन रहय ।  अब तो पोंगरी बनाय के नवा करोबार सुरु हो गय... लोगन तुमड़ी पानी के   जगा सुभिता पोंगरी पानी धर ले घर से बाहिर निकले लगिन ।  गुरुघासीदास  के सोर चारों- मुड़ा उड़े ल घरलिस ।लोगन मंदिर, देव -धामी अउ  पंडा -पुजारी डहन ले बिदर के गुरु शरण मं आए घरलिस । गुरुबाबा के जस देख- सुन के  पंडा -पुजारी मन किसकिसी मरे अउ ओकर डहन ले लोगन ल   बिदारे सेती तरा- तरा के उदिम करे घर लिस ।उनमन सोनखनिहा राजा ले पत्तो बनाके कहिस -"तोर राज मं देव धामी के निंदक शुद्र  साधु बने के ढोंग करत हे अउ तय चुप हस ।हमर धरम के ओहर नास करत हे मंदिर मुरती ल ओहर नदिया तरिया सरोवत हे।
अउ हमन हाथ मं धरे हाथ ब इठे हन ,अइसे क इसे चलही ! एक झन बुढवा पंडित बनेच फोरिया के कहे धर लिस -
"जप- तप करके कारी शक्ति साधे हवे ,अउ सत -सत करत हे!" 
  पंडा -पुजारी मन  घासीदास ल जदुहा- टोनहा कहे लगिस कि ओला तय रोक नही त हिन्दू धरम म परलय आ जाही !गुरुबबा के  दरस -परस बर  जवइय्या मन ले छुतिक -छुता करे लगिस। गांव ले भगाये लगिस  ,जात बहिर करे लगिस । बांस के पोगरी बनइय्या मन ल रोके सेती बांस के जंगल म दावा छोड़वा दे गिस जम्मा जंगल जरे -बरे लगिस ....!!
      
        बांस  अपन कुल के बिनास देख सुसकन लगिस । जोन गुरु बाबा के परतापे अपन भाग सेहरावत पावन होत रहिस लोगन के सरधा बनत रहिन आज जर- बर के धूर्रा लहुट गय ।
             उही बांस के नवतोम्हा काड़ी ल टोर सिकुन बनाय सेती कंडरा ले जय अउ नाऊ घर बेचय ।नाउ ह परसा पान म सिकुन भेद के  पतरी सिल के बेचय ।पतरी मं  पंगत ,बर -बिहाव ,छट्टी-बरही मं दार - भात  तस्मई मालपुवा परोसे जाय ।
     जेखर मनोकमना सिद्ध होय जेखर बदना फलित होय उनमन अपन सगा सोदर म  दूर्भत्ता भात खवाय अउ आनी -बानी के खाजी पतरी म परोसय ।
        राजा घर जस माढ़ीस ओहर देबी उपासक रहिस आठे के रतिहा  कारी बरई अउ छ: दत्ता पड़वा के बलि होइस। भोकरा-भात अउ मंद बांस के पोंगरी अउ सिकुन पतरी म परोसे  गिस बड़ मगन राज परिवार सिरहा, बैगा -पुजारी संग नाचे -कुदे बाना बिदरा छेदिस- भेदिस अउ  खाय बर टुट परगिस ....
    ये काय अनहोनी होगे! पतरी के सिकुन राजा के टोटा म अरझगे .....ओख ओख करत बोर्राय लगिस ... मुंह डहर ले गेजरा फेके घर लिस ।
        सांस नइ ले सकिस अउ थोरिक समे मं आखी के पुतरी लहुट गय .. चारो डहर देखो- देखो होगे ... राजा के सांस अटक गे.... अउ देखते -देखत मुरछुत होके गिरगय ... जलसा सभा सब उजरगे ।
       सांस थोर थिर चलत रहीस ..राजा के रानी  बेटा नाती मन . गाड़ी बैला म जोर के गिरौद के उही औरा -धौरा के धुनि तीर  ध्यान म मगन गुरुबाबा कना  ले गिस ।हाथ जोड़ गुरुबबा के पैलगी करिस ... बचा दे बबा तोर नाव जुग जुग ले अम्मर रही।
गुरुबबा बड़ दयालू रहिस अपन आखी खोल ... कंमडल के जल निकाल सतनाम सुमर के पिलाइस ... गल म फंसे सिकुन के फांस उलिस अउ नीचे लीला गिस ... सांस नली खुलिस अउ राजा  के चेत अउ सुध- बुध आय ल धरलिस ..राजा हर  डंडा शरण साहेब के शरण म गिर पडिस छिमा मांगत ... आप के अपमान करेव ओकर फल ल भुगतेव बबा जी छिमा करव । उन्मन अपन घर आते बर नेवतिन बबा जी ओकर नेवता ल झोकलिन सबो बिंझवार कुलकत लहुटगिन । 
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    ऐति बांस के अंशज सिकुन  अपन कुल धातक कना बदला चुको डरिस ।
‌‌‌‌दु बछर न इ बितिस सोना खान जंगल म बांस लहलहाय धरलिस ...कंडरा मन बनदेबी मं सरधा के फूल चढात बबा जी दरस करिन ... श्रद्धालू मन फेर बांस के पोंगरी म अमरित जल ले जे घर लिस ... गुरुबबा के जयकारा से सारा जंगल गुंजे लगिस ....
             डा- अनिल‌ भतपहरी 
  सी -११ ऊंजियार - सदन  सेंट जोसेफ टाऊन अमलीडीह रायपुर छ ग

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