Sunday, September 25, 2022

सुख के गांजव खरही

#anilbhatpahari 

आपके वास्ते छकड़ी हमरी 

       ।।सुख के गांजव खरही ।।

जाय ल परही एकदिन सब ल ओसरी पारी 
कोनो खुंटा गाड़ के इंहा  रहय नही संगवारी 
रहय नही संगवारी तंय कर ले धरम- करम 
हरहिंछा जी ले झन राखो इरखा भेद-भरम 
सुघ्घर पहाव  जिनगी सुख के गांजव खरही 
ढ़रकत हे बेरा  इंहा अब उहां जाय ल परही

    बिंदास कहे - डा. अनिल भतपहरी

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