#anilbhatpahari
समसामयिक सात हाइकु
देखों तरक्की
सबके मन भाई
वा करिश्माई
पशु कीमती
इंसा हो गये सस्ती
उजड़ी बस्ती
टूटी झोफड़ी
घूम गई खोपड़ी
मुश्किल घड़ी
ये हैं जंगल
हो रहें हैं मंगल
सब कुशल
क्या कहने
अरे वाह भतीजे
आए हैं चीते
हैं अरबों के
जय सरकारों के
सुर्खी खब्रों के
चीता युग की
या जंगल राज की
हुआ वापसी
- डा. अनिल भतपहरी
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