सुरता के चंदन के रचयिता : हरि ठाकुर
बादर ह गंजा गे रुई के पहाड़ असन
संस्मरण -
सुरता के चंदन के ऊगाने (रचयिता ) वाला आद हरि ठाकुर जी
तब बात 1989-90 की है जब मै गुरुघासीदास छात्रावास आमापारा रायपुर मे रहते दुर्गा महाविद्यालय मे बीए अंतिम का छात्र था। साहित्यिक अभिरुची के चलते सामने ही आर डी तिवारी स्कूल , सोहागा मंदिर प्रांगण आंनद वाचनालय कंकाली पारा उनके प्रेस , वेदमती धर्मशाला सोनकर पारा या शिकारपुरी धर्मशाला या फिर गांधी प्रतिमा उद्यान ब्राह्मण पारा चौक छत्तीसगढी समाज के भवन हांडी पारा मे हरिठाकुर , केयुर भूषण , आचार्य सरयुकांत झा , डा मन्नूलाल यदु , जागेश्वर प्रसाद , शिव कुमार निकुंज , डा राजेन्द्र सोनी , रामेश्वर शर्मा बलिराम पांडे , उदयभान चौहान चेतन भारती और हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो मे मोतीलाल त्रिपाठी , धनिराम वर्मा कमलनारायण शर्मा आदि । इन सबको एकत्र करने का काम सशील यदु ,रामप्रसाद कोसरिया करते और हमलोग उनके सहयोग जिसमे चंद्रशेखर चकोर ( सहपाठी ) राजेन्द्र चौहान साथ होते जिसे उन जैसे प्रखर प्रतिभाओ का सानिध्य लाभ मिला।
उनके लगातार आयोजनो के श्रोता या दरी उठाने बिछाने बैनर पोष्टर फोल्डर बाटने के काम करते रहे।एवज मे कभी कभी काव्यपाठ करने का अवसर मिल जाया करते थे। छिटपुट उन कार्यक्रमों के रिपोर्टिंग पेपर मे आते।जिनकी विज्ञप्ति देने सुशील भैया मेरे छात्रावास के रुम मे आते और छोड़ कर स्कूल जाते जिसे मै प्रेस मे दे आता।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो मे मोतीलाल त्रिपाठी , धनिराम वर्मा कमलनारायण शर्मा डेरहाराम धृतलहरे महादेव इत्यादियों को एकत्र करने का काम सशील यदु ,रामप्रसाद कोसरिया करते और हमलोग उनके सहयोग जिसमे चंद्रशेखर चकोर ( सहपाठी ) सुशील वर्मा ,राजेन्द्र चौहान जैसे प्रतिभाओ का सानिध्य लाभ मिला।
उनके लगातार आयोजनो के श्रोता या दरी उठाने बिछाने बैनर पोष्टर फोल्डर बाटने के काम करते रहे।एवज मे कभी कभी काव्यपाठ करने का अवसर मिल जाया करते थे। छिटपुट उन कार्यक्रमों के रिपोर्टिंग पेपर मे आते।जिनकी विज्ञप्ति देने सुशील भैया मेरे छात्रावास के रुम मे आते और छोड़ कर स्कूल जाते जिसे मै प्रेस मे दे आता।
बहरहाल एक कवि संगोष्ठी के बाद उनकी एक कविता की पंक्ति मे मेरा मासुम सा हस्तक्षेप नुमा आग्रह था - "बादर हर गंजा गे रुई के पहाड़ असन के जगा
बादर हर गंजा गे पोनी के पहाड़ असन .... हर जादा शोभाय मान होही ।"
उन मन बड़ गहिर गंभीर सुभाव के रहिन अउ हमन ओकर तीर गोठियाय बर तको झिझकन ... वोहर कहिस बने कहत हस बाबू अउ मोला गौर से देखन लगिस मय झेंप गेंव ।मोर संग उमाशंकर अउ मनराखन रहिन । अभी उमा भाई हर इंजीनियर हवे ।अउ तरुण छत्तीसगढ म काम करत मनराखन हर आजकल अपन गांव म खेती किसानी म मंगन हवे।
हरि ठाकुर के सुरता के चंदन हर आजो ले गजबेच ममहावत हवय।
डा. अनिल भतपहरी
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