#anilbhatpahari
आपके वास्ते छकड़ी हमरी
संगी तोर मया
संगी तोर मया ह लागे गोरसी के आंच असन
अरझे अंतस भीतरी कमचिल के फांस असन
पलपला म उसने देह तोर शंकर कांदा असन
बोली बतरस लसलस ले अमली लाटा असन
सुख -दु:ख बटागे सित्तो बोइर अउ चार असन
धरखन एक दुसर बर काड़ अउ मियार असन
- बिंदास कहे अनिल भतपहरी
चित्र - धनेश साहू
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