अभीच ले मोला अबड़ संसो होत हवे भाई
अवइय्या दस बीस बछर मं अलकर होही
काबर कि बड़े-बड़े मूर्ति बन जाही
त "हवई जहाज" कइसे उड़ियाही ?
परदेशिया मन इहा आए बर डराही
काबर कि उकर जिहाद ओमा टकराही
अउ भंग -भंग ले जर- बर के लेसा जाही .
बिचारा मन के हाड़ा-गोड़ा के पता नई चलही
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