Thursday, November 25, 2021

संसो

अभीच ले मोला  अबड़ संसो होत हवे भाई 
अवइय्या दस बीस बछर मं  अलकर होही 
काबर कि बड़े-बड़े मूर्ति बन जाही
त "हवई जहाज" कइसे उड़ियाही ?
परदेशिया मन इहा आए बर  डराही 
काबर कि उकर जिहाद ओमा टकराही 
अउ भंग -भंग ले  जर- बर  के लेसा जाही .
बिचारा मन के हाड़ा-गोड़ा के पता नई चलही

No comments:

Post a Comment