तन के तिजौरी म मन के मन भर रतन भरे हे
साधु अउ चोर किंदरत हे खोर सबके नंजर गड़े हे
एला क इसे बचाव उन ल कइसे भरमाव
कोनो उक्ति बताव .. कोनो मुक्ति देखाव .....
जब ले चढ़े हे ये बइरी जवानी
जी के जंजाल बड़ हलकानी
कोनो तो एकर जुगती मढ़ाव ...
गहना गढ़ाय न दान-पुन जाय
धरखन काकर कहे कछु न उपाय
बिन बउरे जिनिस माहंगी फेकाय ...
खिरत हे उमर पैरावट कस रतन गंजाय
मय मुरख एला सकेंव न भंजाय
जांगर थकत हे कोनो रद्दा मुक्ति के बताव
सत श्री सतनाम
डाॅ. अनिल भतपहरी
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