Tuesday, July 6, 2021

सुरता प्रायमरी स्कूल बुन्देली के

सुरता प्रायमरी स्कूल बुन्देली ‌-

 ।।दउड़ भाड़ी मं अउ फोर माड़ी ल ।।
 
" जहर महुरा झन खा  चले जा बुन्देली" अइसन हाना महानदी  सिरपुर  के ए पार चातर  राज मं   चलय  । ओ पार जंगल राज  महासमुन्द जिला परथे ओकरे आखिर‌ मं चारो मुड़ा कटाकट जंगल के मंझोत मं  बुदेलहीन पाट , गजगिधनी पहाड़  अउ चंदवा डोंगरी के  मझोत  मं 11 पारा वाले जबर गांव  बुन्देली बसे हवय। बेल्डीही नाला ( जोक नदी के सहायक )पार कर तहन उड़ीसा लगथे।   जिहां मोर पिता जी हर मोर जनम साल 1969 मं हाई स्कूल मं बी एड करते साठ पदस्थ होइस। एक हिसाब से कहे त मोर ऊपजन बाढ़न गांव आय बुन्देली मोर गोकुल आय सच कहे  त मोर वृंदावन आय जहां पहली से सातवीं तक पढेव अउ हर साल क्लास मानीटर बनत आएव केवल छटवीं  म मोर से जादा नंबर लाने मोहित ह बनिस ...  फेर बिचारा देवारी के बाद स्कूल न इ आइस ।सुने म आइस कि ओमन अकाल परे ल जीए खाए ईटा बनाय कहु चल दिन )
+.         +.          + 
 बाबु जी के 20 अगस्त 1948 के अपन जनम के 6 माह मं महतारी  पिलाबाई चल बसिन अउ 2 साल मं ददा रामचरण तको सतलोकी हो गिस।ननपन ले दाई -ददा के मया दुलार से वंचित अपन बडे दाई  सतवन्तीन के मयारुक अंचरा के छांह म पले बढे रहिस। निरबंशी  अपन छाती मं पथरा लदक बेटी के ऊमर  वाली ल सउत  बना के लानिस अउ नाती नतुरा कस रामचरण पीला बाई के चिन्हा दुकाल  अउ सुकाल  ल जी जी अंतर पोसे पाले रहिन।
   बचपन ले गुणवंता सुकाल के मास्टरी नौकरी सुन उछाहित तो रसिस फेर कौरु नगर कस जस बगरे बुन्देली नाव सुन के दाई  सतवंतीन अउ कका -बबा मन साफ मना कर दिस ।  .. गाँव में कका -बड़ा  दो भाई वकील  ( मनोहरलाल अउ भुवनलाल  तीसर  भाई बिहारीलाल  विकास अधिकारी  अउ चौथा किसनलाल  भिलाई म नौकरी करत  रहिन ये पाँचवा  जीवनलाल ( सुकाल  ) भतपहरी वंश के पहली शासकीय सेवा म मास्टर बनत रहिस ७५ रुपया मासिक तनखा मं। 
    साफ मना कर दे गिस कि  गौटिया घराना के लरिका नौकरी न इ करय। खेती म ४-५ झन नौकर झुल इया क इसे नौकर बनही?
    फेर बाबु जी भले छोटे कद के मनसे रहिस फेर जोन ठान लय ओ चंदवा पहाड़ ले कम ऊँच न इ रहय....
   पिथौरा से जंघोरा उहा ले जंगल भीतरी  ठाकुरदिया - खपरा खोल जंगल नाहकत सुपर साईकिल के आघु सीट लगे  डंडी मं मोला ब इठारे अउ पाछु केरियल मं  कोरा मं  छोटे भाई सुनील ल धरे  मां  ब इठे राहय ।
  झोला बैग तको बंधाय रहय।...सांय- सांय करत जंगल मं बाबु मंगल भजन गात  सायकिल ओटत २० कि मी जंगल ल पार करत बुन्देली पहुँचय ...  बीच -बीच मय टिड़िंग -टिड़िंग घंटी बजात रहव ... अ इसे लगय कि रुख राई मन मगन किंदरत हे, अउ पहाड़ मन हमन  ल छुए -पोटारे बर दउड़त तीर मं आत हे ...बाबु हर उन राक्षस मन ल बचात सांय -सांय ओटत भागत चले जात हे ... फेर मोला लगय थोरिक रुकन का तीर आन दे छुवन तो दे का कर लिही देख लेबोन ... दाई ददा संग बल गरजत सोचव ।

     मंय तो ननपन ले बाबू संग स्कूल जांव अउ उहा खेलत रहव। चपरासी मन पाए रहय । स्कूल के फूलवारी अउ क्यारी मन ल खेलात रहय ... काबर बाबु के संग घर के चल देव पाछु भुख लागय त मोला घर पहुंचा देवत जब मय ५ सवा पांच साल के होएव तब मोर  नांव अनिल  स्कूल मं १९७४ में  लिखागे अउ  विद्यार्थी बन गेय आजो ले सिख ई पढ ई चलतेच हे हा अब मुन्ना कह इया कोनो न इये   ।ओकर पहिली मुन्ना रहेंव अउ स्कूल स्टाफ के राज दुलारा रहेंव ... मोला देवधर भैया ,घनश्याम भैया करा भैया  मन अबड़ खेलावय अउ स्कूल तीर के होटल मं  भजीया बरा तको खवाय फोकटेच्च मं । चपरासी भैया मन  स्कूल के भाड़ी के ऊपर  मं ब इठार दय त भाड़ी के ऊपर दउड़त खेलव ... मोर द उड़ ई ल देख ओमन अचरुज हो जय ... मोला आजो ले सुरता हवे ।एक बडे टुरा हर ओती ल दौड़त आत रहिस क्रासिंग म जगा न इ दिस त दुनो टकरा के गिर गेन मोर माड़ी फूट गय ... होनी के अनहोनी होगे ... घनश्याम भैया ल बनेच डाट पड़े रहिस ... माड़ी के चिन्हा आजो ले हवे ओ ल जब जब देखथव मोर सुरता आथे अपन स्कूल अउ जम्मो संगवारी मन के ... मोर लइका मन ल माड़ी के चिन्हा देख चिन्हार चिन्हार के पुछथे(ओमन ल दादी बता दे हवय ) हर कइसे मंजा आत रहिस का ? अउ दउड़  भाड़ी मं  फोर डार माड़ी ल  ...७२ वर्षीय मां हर अपन नाती मन के गोठ सुन कठ्ठल के हांस परथे अउ मंय आजो ले अपन उतअइल पन के सुरता कर के झेंप जथंव ।
                    ... सरलग 

बाकी बाद मं 

    डाॅ. अनिल भतपहरी

No comments:

Post a Comment