Saturday, June 26, 2021

लहुं आँखो से बही हैं..

लहु आँखों से बही हैं ...

सुन कर ओ अशआर मेरे तारिफ़ में कही हैं
दिल कत़र के लिखें जो आ के दिल में लगी हैं

सच डूबाएं है ऩीब खुन-ए -ज़िगर में
तभी बिन रुके यह कागज़ पें चली हैं

पढ़कर हुई ख़राब अनिल अपनी हालत 
पल भर लगा कि बात अपनो में चली हैं

हैरत है सभी कि मंजर लाल क्यूं हुआ  
आँसू नहीं धर-धर लहु आँखों से बही हैं

      -डाॅ.अनिल भतपहरी/ 909816529

निम्न लिंक पर जाकर श्रवण कीजिए -

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