कितनी प्यारी मधुशाला
किसे पता था
लाकडाउन में
क्या से क्या होना
यह दिन भी दिखा गई
ज़ालिम कोरोना
देख हतप्रभ भाया
कोरोना की माया
शासन के तंत्र का
राजस्व पाने के यंत्र का
पहिये थमने पर भी
पेट्रोल डीज़ल का उछाल
सौ का लीटर
देखो क्या कमाल
पूजा-पाठ हो रहे
मदिरालय में
ताले लटक रहें
देवालय में
क्यों न हो
बिन पीये बौरातें लोग
और कर के पूजा- पाठ
इतराते लोग
अब तक सर न फूटा
किसी का न हुआ
उन्माद वहाँ
सारे गमज़दा
दु:खी और सुखी
मिलते निर्वाज्य सभी
तज कर अपने पूर्वाग्रह
नशे में डूबे करते आग्रह
मिलते गले परस्पर
जाति धर्म भाषा भूलकर
पर जाते पूजा गृहो में
रख कर यह सारे
भेद -विभेद
शांति के नाम पर क्लेश
दढियल लम्पट नक्काल
इनके अजीबोगरीब चाल
ठग- जग का मायाजाल
रक्त रंजित धर्मनिष्ठ
बही नदियाँ खून की
आका इनके सत्ता में
न डर भय कानून की
भेद कराती इनके
सजे - धजे मंदिर -मस्जिद
जहां है गड़बड़ झाला
मेल कराती उजड़े - बिझड़े
कितनी प्यारी मधुशाला
-डाॅ. अनिल भतपहरी/ 9617777514
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