Wednesday, June 16, 2021

बाबु जी

सतनामियों में सत सत कहने और सफेद कंठी जनेऊ  चोवा चंदन लगाने भर से  सच्चा सतनामी होने के भ्रम हैं। अधिकांश केवल यही करने में रत हैं। 
   बहरहाल दुनिया तेजी से भौतिक वाद की गिरफ्त में हैं। ऐसे में विशुद्ध प्रकृतिवादी और विशुद्ध सात्विक और सतपंथी होने का दावा वर्तमान में कोई नहीं कर सकता।
   सबकी अपनी सीमाएँ हैं सभी शाखाएँ  महत्वपूर्ण । लाखो लोगों ‌विशाल देश के अलग अलग जगहों पर निवासरत हैं। पंजाब हरियाणा उप बिहार छग  म प्र असम नागालैंड उडीसा बंगाल महाराष्ट्र मधेश आदि तो देश काल भाषा और वहाँ के अन्य समाज और उनकी मान्यताओं का प्रभाव तो पड़ना ही हैं।
    अत: छिटपुट विविधताओं को दरकिनार कर सतनाम के छत्र छाया में सबको मिलजुल रहना चाहिए। 
   जय सतनाम

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