Thursday, June 3, 2021

मंगलू समारु के गोठ



।।समारु अउ मंगलू के गोठ ।।

"अलकरहा गदर -फदर मांस -मछरी ,साप- बिछी ,चिरई  चुरगुन, फाफा- मिरगा ,मेकरा- माछी  ,चमगेदरी -समगेदरी अउ कुकुर -माकर मन ल  मिंझार के खाही त उकर मुड़ा नइ पुरही ग ?सवाद लगाके खाय म ही ये कोरोना महामारी फइले  हवे!
 जनामना मनसे ल हाही आगे हवे जतका जिनिस हे सब कमती हे। उनखर बर अब भुगतत हे अउ  हमु मन ल भुगतावत हवय।"

तरिया पार मं दतुवन घीसत समारु कहिस , त ओकर बोली के चिबोली देवत मंगलू कहे लगिस -
"अउ मंद -संद पी -खाके टुरा- टानकी मन के खुल्लम -खुल्ला चुमई -चटई  ह‌र निपोर ओखी के खोखी कर दिस ।"
तय हर यार मंगलू एकदमेच फोर के कहिथस कोनो सुन डहरी त का समझही अउ हमर इज्जत का रहि जाही ?ते पाय के अइसन गोठियाय म कनउर लगथय भई । समारु हर अपन संत पना अउ धीर -गंभीर सुभाव  के सेती अड़ताफ में जाने जाय। त मंगलू हर अपन जोकड़ाई अउ पच -परगट कहे के नाम से जाने जाय।

       आज मउका मिलिस त उधेनतेच जात हवय ।जनामना आजेच मनरेगा के  गोदी ल  पुरो के रही ।

"सही कबे मंडल त ये कोरोना बइरी हर सब मनखे मन ल बड़ अकबका डारे हवय ।जीव ह टोटा म अरझे बानी लगथय अउ रतिहा टी बी म  समाचार  सुनबे त  करेजा मुंह म आय बानी लगथे ...! उदुक ले  आके फुदुक ले से देश भर म फइलत चले जात  हवे।
    मंगलू के गोठ के बीचेच म कहिस -'हव ग जब कहुंचो फइले नइ रहिस त कमइया -खवइया मजदूर मन ल सरकार जिहां -तिहां दु -दु महिना ल बिन रोजी रोजगार के धांध दे रहिस।"
   अउ जब जादा फइल गे तब सब झन लाने- लेगे बर रेल मोटर गाड़ी चला दिस । उन बिचारा मन के करल ई देख रोय  रोवासी नई  आवय.."  खांध के.पंछा मं आंसू पोछत कहीस ।
"अब देखब एखर से सब राज के गाँव -गाँव फइलत चले जात हवय। ये हर अउ बड़ बिलहोरन लगत हवे! "मुखारी ल चाबत समारु मंडल कहिस।
       अच्छा मंडल एकर आय ल मनसे मन छट्टा -छुट्टा होगे तौन बने बात आय।अब देख ले जु़ड़- सर्दी ,जर -बोखार , खांसी-खोखी  मन धरत न इये भलुक सब जगा बने सुधरत जात हवे ।नदियां - नरवा  अउ हवा -पानी ये  जम्मों वातावरन ह सुधरगे। पवन -पुरवाई बने चलत हवय चिर ई -चुरुगुन मन गाय -गुवाए ल सीख गिन ।
   हां सिरतो  हस ! "अतका सुधार तो दिखत हवय  भलुक अब छट्टा -सट्टा अतेक बाढगे कि बाबु पिला माई लोगन मन एक दुसर बर कुरा ससुर अउ डेढ़सास लहुट गय ।"

     समारु हांसत कहिस -"बने कहेस मंगलू असने मान -मरजादा म रहई हर बने आय अब  सबो झन ल असनेच रहे लगही ।"
      "नहीं मंडल तोर असन संत ल फरक नइ परत होही फेर हमर असन देहगिरहा मन बर जीअई हर अलकर लगत हवे। न भाव न भजन न पाव पैलगी । अउ त अउ असनेच रही त नसबंदी वाले मन के काम -बुता तको नइ सटक जही मंडल ?  मया -पिरित तको दुनिया ले नंदा जही लगत हे थाना कछेरी पुलुस दरोगा अउ समाज के दलाल सलाल सब कठुवाय ब इठे हे।।"ठठा के मंगलू  हांसे लगिस ... तभो ल ओहर पुरौनी गोठियाईस  डांड- बोड़ी के भर्री भात नोहर हो जही गो ।
   बड़ गोठकार ताय ...

  ओती सयकल मं आत अनिल हर उकर बता-चिता ल  सुन के बिधुन हांसे लगिस -" बने बने बबा हो जय जोहार!"
 उहु मन जोहार ले  कहिन ।
थोरिक ठाड़ होके हालचाल पुछिस अउ ट्रन- ट्रन घंटी बजात/ पैडल मारत स्कूल डहन चल दिस जिहा दुसर राज ले कमाय- खाय बर गय लोगन ल १४ दिन बर क्वारंटाइन म राखे हवय,तेकर हाल -चाल जाने। 

          - डाॅ. अनिल भतपहरी 9617777514

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