#anilbhattcg
आज विश्व कविता दिवस है पर कल रात्रि जेहन में पंथी गीत धुन के साथ कौंधनें लगा और वही गूंज रहा है । अभी-अभी वाल पर लिखाया तब जाकर मन को सुकून मिला ...
।।हंसा उबर जाही ।।
सतनामी घर जनम होही संतो
त मोर भाग संवर जाही
संतों मोर हंसा उबर जाही ...
जात -पात छूआछूत ल रहू सदा दुरिहा
छल कपट भरम भूत ल लेके का करिहा
सतनाम सुमरन नित मुख भाखी
हो संतों मोर भाग संवर जाही ...
सत अउ इमान के रसता म रेगिहंव
भुखे ल भोजन दे पियासे ल पियाइहव
दु:खी मनखे के सेवा म जीव तर जाही
हो संतों मोर भाग संवर जाही ...
हिरदे सफा अउ मन राखो निश्छल
खानी बानी सादा गाबो पंथी मंगल
हंसा अम्मर लोक हबर जाही
हो संतों मोर भाग संवर जाही ...
- डा. अनिल भतपहरी
21-3-2024 गुरुवार प्रात: 9-30
ऊर्जा पार्क रायपुर
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