#anilbhatpahari
मंहगई गीत
दू सौ किलो राहेर दार ,डेड़ सौ म पताल
का बतावव संगी तोला ,हमरों हाल-चाल
ये मंहगाई के मारे होगे, जीव के जंजाल ...
बिहने ले बिस्कुट बर रोवत हे टूरा
नवा लुगरा बर लुगाई फोरत हे चूरा
कत्कोन कमाथन ,फेर होथे बाराहाल ...
खेती हर अपन सेती ,नौकरी न चाकरी
मांगे न मिलय उधारी ,बता अब का करी
ओरमा के गर मं फासी, ये झंझट ल टाल ...
गोंदली सरकार बदलथे अइसन तो देस
तभो ले कोनो चेतय नही भारी कलेस
पाच साल म टेकाथे बंगला,जे होथे सरकार ...
- डा. अनिल भतपहरी / ९६१७७७७५१४
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