Friday, April 18, 2025

संपादकीय म ई 2025

संपादकीय ....

सतनाम धार्मिक स्थलों-बाड़ो का रखरखाव व प्रबंधन  हेतु "सतनाम संपदा समिति" का गठन  हो ! 


अप्रेल का महिना सतनाम धर्म- संस्कृति में महत्वपूर्ण माह है। 
इस माह में  राजा गुरु बालकदास जी के कर्मभूमि बोड़सरा धाम मेला का महिना हैं। जहां शौर्य पराक्रम के साथ -साथ श्रद्धा भक्ति  के लिये भी जाने जाते हैं। ज्ञात हो कि शिवनाथ नदी के उस पार रतनपुर राज्य में  बिल्हा तहसील जिला बिलासपुर में कुआ बोड़सरा धाम स्थापित है। जहां से रतनपुर राज के सतनामी समाज जुड़े हुये थे और वहां से समाज का संचालन होते थे। सुप्रसिद्ध तेलासी बाड़ा जैसे ही हुबहु यह महत्वपुर्ण  निर्माण है। 

 भीषण अकाल के समय गुरु वंशज समाज हितार्थ जमीन बाड़ा आदि को गिरवी रखे।
 तत्कालीन महाजनों का हड़प नीति और चक्रवृद्धि ब्याज ,मुड़कट्टी बाढ़ही डेढ़ही से अनेक मालगुजार मन्डल गौटिया और कृषक अपनी भूमि और गांव से बेदखल हो गये या संपदा और मिल्कियत को मुकता नही सकने की लज्जा या हिकारत से छोड़ दिये । फलस्वरुप शहरों में बसे अंग्रेजी सत्ता से संरक्षित गैर प्रांतिक मूल के  व्यापारी / ठेकेदारों ने मिली भगत कर उन्हे कुर्क नीलाम करवाकर या चुपचाप कागच पत्र बनवाकर या कूट रचकर हथिया लिये ।

 जिसमे तेलासी बाड़ा , बोड़सरा बाड़ा , रायपुर स्थित गुढियारी  रायपुर के साहेब बाड़ा, जवाहर नगर के मांगड़ा बाड़ा मोवा बाड़ा  प्रमुख है। इनमे मोवा के गुरुबाड़ा को छोड़ शेष गिरवी में डूब गये ।
    मोवा बाड़ा में गुरु अगमदास गोसाई  मिनीमाता जी रहती थी और स्वतंत्रता आन्दोलन को संचालित करती थी।जहां पर प नेहरु के विश्वस्त बाबा रामचंद्र रहते थे और यहां की जानकारी और रणनीति बनाते थे। वर्तमान मे विजय गुरु / रुद्रगुरु साहेब लोगो का निवास स्थल हैं।

उनमे सबसे चर्चित  तेलासी बाड़ा मुक्ति आन्दोलन देश भर में चर्चित रहा । गुरु आसकरनदास साहेब एंव राजमहंत नैनदास कुर्रे के नेतृत्व में 103 सत्याग्रहियों की तीन दिनों की जेल यात्रा से प्रदेश का महौल गर्मा गया और देश भर मे चर्चा हुई । फलस्वरुप तत्कालीन मुख्यमंत्री  मोतीलाल वोरा की सरकार ने सभी सत्या ग्रहियों को 6- 10  अप्रेल 1986  को   नि: शर्त रिहा कर तेलासी बाड़ा को  गणेशमल लुंकड़  जैन से 27 अप्रेल को  मुक्त करवा कर समाज को सुपुर्द किया ।तब से इसी तिथि को तेलासी बाड़ा मुक्ति दिवस मेला धूमधाम से मनाये जाते हैं। पर बाड़ा खंडहर हो कभी भी जमींदोज हो सकता है। इनके पुनर्निर्माण की नितांत आवश्यकता हैं। 
इसी तरह बोड़सरा बाड़ा की मुक्ति आन्दोलन कई दशकों से जारी है पर मामला न्यायालय में लंबित होने से  आज पर्यन्त लाखों श्रद्धालुओं को बाड़ा का दर्शन नही हो पाता। यह दु:खद  है हालांकि बाड़ा मे विगत कई दशको से कोई नही रहते और खंडहर सा जीर्ण - शीर्ण अवस्था में पड़ा हुआ है। 

बोड़सरा गांव में  नाले के पास मैदान में  मन्दिर व जैतखाम और सतनाम भवन बना हुआ है ,वहां प्रतिवर्ष   चैत्र शुक्ल पंचमी से सप्तमी ( 2-4 अप्रेल  )को त्रिदिवसीय विशालकाय मेला  भरता है जो कि गरिमामय  सम्पन्न हुआ।‌
गुरुघासीदास जयंती समारोह के प्रवर्तक मंत्री  नकूल देव ढ़ीढ़ी  जयंती  12 अप्रेल को  उत्साह एंव धुमधाम से मनाई गई । महासमुन्द ,भोरिंग , बैहार आरंग सहित क ई जगहों पर जयंती आयोजन की खबरें हैं। 
  इसी तरह  आमापारा में सतनामी समाज को आबंटित भूमि जिसमें छात्रावास आश्रम और धर्मशाला बनना था वहां पता नही तत्कालीन प्रबंधक समिति अध्यक्ष कन्हैलाला कोसरिया , रामाधार बंजारे  आदि ने बिल्डर्स विमल जैन से मिलकर किस सेवा शर्त द्वारा व्यवसायिक परिसर गुरुघासीदास प्लाजा 5 मंजिला भव्यतम  निर्माण करवाया ।दुकाने बाट या बेच दी गई । करोड़ो की संपदा से समाज और होनहार छात्रों का भला होता वह आज चंद लोगो के पास जा रहे है। वर्तमान प्रंबधक लोग महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर दिये गये है  या न्यायालय में विचाराधीन है इस तरह की भ्रामक जानकारियां देते है या वास्तविक तथ्य छुपाते है जबकि निर्माण 30 से अधिक हो चुके है परन्तु आज तक समाज को बिल्डर  जैन द्वारा सुपुर्द ही नही किया हैं  कितने वर्ष के लीज है यह भी सार्वजनिक नही करते । जो कि चिंतनीय है। समाज के प्रभावशाली लोगो को प्लाजा मुक्ति हेतु अभियान चलाना चाहिये ।कही यह भी बोड़सरा बाड़ा जैसा न हो जाय । अब समय आ गया है कि सतनाम धर्म स्थलों और बाड़ो के रख रखाव और संरक्षण के लिये  "सतनाम संपदा  समिति"  गठित किया जाय ।जैसे वक्फ और मठ मंदिरों की संपदा के लिए संस्थान गठित हैं। ताकि वहां पर  सतनाम धर्म  संस्कृति से संदर्भित विविध आयोजन सम्पन्न किया जा सकें। दान दाताओं द्वारा उचित फोरम या संस्थान नही होने से दुसरे धर्मों के मठ - मन्दिर या धर्म स्थल  में दान करते हैं  (जैसे बोईरडीह पलारी का  एक‌ निसंतान कृषक  अपनी पुरी खेत दुधाधारी मठ को चढा दिये।) वह यहां कर सकें और उनका सही ।उपयोग होते देख समझ सकें। उनके बुढापा में संस्थान में काम भी आ सकें।

    संविधान निर्माता और आधुनिक भारत के शिल्पी भारत रत्न डा अम्बेडकर  की 14 अप्रेल को जयंती मनाकर उनके प्रदेय को स्मृत किया गया। 

समाज में सार्वजिक रुप से आदर्श विवाह और युवक युवती परिचय सम्मेलन का दौर चल ही रहा है  इसमें न्युनतम आय वर्ग के लोग सक्रियतापूर्वक मजबुरी या जरुरत के हिसाब से सक्रिय है आयोजक वर्ग सम्पन्न और नौकरी व्यवसायी व समाज सेवक साधन सम्पन्न वर्ग है ।परन्तु इस आदर्श विवाह मे उनके परिजनों की सहभागिता नही होती जबकि इसमे भी साधन सम्पन्न वर्ग सम्मिलित होकर गरिमामय और भव्य रुप दे सकते है इस दिशा में सार्थक पहल होनी चाहिये।
     महाविद्यालयीन / स्कूली छात्रों का परीक्षा  परिणाम और प्रवेश और हमारे कृषक बन्धुओं का खरीफ फसल हेतु खाद- बीज  कृषि यंत्र क्रय हेतु  ग्रामीण या अन्य बैकों से ऋण आदि की प्रक्रिया जारी है ।सामर्थ्य अनुसार खर्च करे और जरुरत पड़े तो ऋण ले ।नशा , जुआ और व्यर्थ शान प्रदर्शन की होड़ से बचे और सादगीपुर्ण मितव्ययता से जीवन निर्वहन करें इस अपील के साथ अभी यदा कदा सतनाम सद्ग्रंथ , सतनामायन , आयोजन भी 3-5-7 दिवसीय हो रहें है। अभी अभी खबर आई कि सतनाम भवन भिलाई में त्रिदिवसीय आवासीय  सतनाम सत्संग आयोजन दि ..... से हो रहें हैं।
 इस तरह ग्रीष्मकालीन समय का सार्थक सदुपयोग कर रहे संत समाज को यह अंक सादर समर्पित हैं। पढ़े- पढावे और समाज विकास हेतु सार्थक परिचार्चाए करें  संस्थानों को यथायोग्य आर्थिक सहयोग दे ताकि बेहतरीन आयोजन होते रहें। जितना आयोजन होगा समाज सुसंगठित और सुव्यवस्थित होगा। 
जय सतनाम 
डा. अनिल भतपहरी / 9617777514
प्रबंध संपादक 
सतनाम संदेश 
सतनाम भवन न्यू राजेन्द्र नगर रायपुर छत्तीसगढ़

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