#anilbhatpahari
।।हड्डी की जीभ नहीं कि न फिसलें ।।
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।।हड्डी की जीभ नहीं कि न फिसलें ।।
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कल तुम्हे ईश्वर बनना हैं , राम की सद्गति , वहम , युद्ध , सड़क, काव्यार्पण सुनकर असआर मेरी, कविता इस तरह विविधतापूर्ण 71 कविताए और उनपर खूबसूरत पेंटिग्स ।
मानवता ,समानता, और सामाजिक सौहार्द्र के लिए आधुनिकतम विचारों से युक्त विमर्श करती डॉ. अनिल भतपहरी की कविताएं और लतिका वैष्णव की खूबसूरत चित्रों की जुगलबंदी ।
एक अभिनव प्रयोग ...
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