Wednesday, May 4, 2022

अमलताश

#anilbhatpahari 

अमलताश 

विकट संकट में
फंसे झंझट में  
आई प्रिये पास 
चिलचिलाती धूप में 
ज्यों खिली अमलताश 
होकर प्रसन्न प्रकृति 
धारित करती स्वर्णाभूषण
हर्षित उपवन अरु तन मन 
प्रदर्शित करती वैभव विलास...
 
उधर  तन्वंगी हुई चित्रोत्पल्ला 
स्वच्छ जलराशि अमृत पिला 
विचरते विहंग करलव 
धावित गोधन बेला गोधुलि
अलसाई नयन 
टेह बंशी की  गूंजी रुनझुन 
सुनाई पड़ी अल्हड़ गीत भजन 
हो रहे हो मधुमय सहवास ...

 मधुर गान  मोहिनी मुस्कान मधुर
संग थिरक उठे यह मन मयुर  
डोर अनजान सी बंध चली  
मृदुल पुरवाही संग गंध बही 
मतवाली डाली मदमाती अमलतास 
आई तुम पतझड़ में बनकर मधुमास ...

      -डॉ. अनिल भतपहरी / 9617777514

No comments:

Post a Comment